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शास्त्री - परिषद् : पं. लालबहादुर शास्त्री एवं पं. बाबूलाल जमादार के प्रयत्नों से शास्त्री परिषद् का गठन हुआ। उस समय जिन विद्वानों से इनके अपने व्यक्तिगत सम्बन्ध थे, उन्हें सम्मिलित कर कार्य प्रारम्भ कर दिया गया। बाद में अन्य विद्वान् भी इसमें सम्मिलित हुये। आज यह संस्था अपना कार्य कर रही है।
विद्वत्-परिषद् : अ. भा. दिगम्बर जैन विद्वत्-परिषद् का गठन श्रद्धेय पूज्य गणेशप्रसाद जी वर्णी की प्रेरणा से हुआ। उस समय के जो प्रमुख विद्वान् थे, उसमें सम्मिलित हो गये, जिसके द्वारा कई महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों का प्रकाशन हुआ है। पं. जुगलकिशोर मुख्तारजी, पं. फूलचन्द जी शास्त्री, पं. कैलाशचन्द जी शास्त्री, डॉ. हीरालाल, डा. ए. एन. उपाध्ये, पं. देवकीनन्दन जी आदि सभी ने इसकी गतिविधयों में अपना सक्रिय सहयोग दिया। अभी संस्था ने अपना स्वर्ण जयंती समारोह बड़े विशाल रूप में मनाया है। पं. नाथूलाल जी प्रेमी, मुम्बई, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों से जैन समाज की सेवा की, उन्हें कौन भुला सकता है। सम्प्रति डॉ. राजाराम जैन, इसके अध्यक्ष हैं और यह संस्था उल्लेखनीय कार्य कर रही है।
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प्रसिद्ध औद्योगिक बालचन्द्र ग्रुप : सेठ लालचन्द हीराचन्द दोशी परिवार महाराष्ट्र दिगम्बर जैन समाज में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। इनके द्वारा टैक्नीकल कॉलिज चल रहा है। आप भारत जैन महामण्डल एवं अ. भा. दिगम्बर जैन - तीर्थक्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष रहे। आप राज्यसभा एवं मुम्बई विधानसभा के सदस्य रहे। व्यापारिक क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण स्थान रहा। इनकी सुपुत्री व सुपुत्र बहन सरयू दफ्तरी आज महिला - समाज में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान रखती हैं व कई संस्थाओं का संचालन कर रही हैं। श्री अरविन्द दोशी तीर्थक्षेत्र - कमेटी के महामंत्री पद का कार्य कर रहे हैं। महाराष्ट्र में 'बालचन्द हीराचन्द ग्रुप' बहुत समय से प्रसिद्ध है। सरसेठ हुकुमचन्द जी : सरसेठ हुकुमचन्द जी द्वारा इन्दौर में अनेकों अद्भुत कार्य हुये, जिनमें काँच का दिगम्बर जैन मन्दिर, शीशमहल, अतिथिगृह, नसियाजी, घंटाघर, उदासीन आश्रम, इन्द्रभवन, सभी महत्त्वपूर्ण भवन हैं। वे प्रतिदिन पूजा-अर्चना स्वाध्याय विद्वानों द्वारा शास्त्र - प्रवचन में भाग लेते थे। शिक्षा के लिये विद्यालय एवं छात्रावास का संचालन किया है। आप अनेकों पदवियों से सुशोभित थे। अतिथियों का आदर-सम्मान करते थे ।
धर्मस्थल : कर्नाटक राज्य में धर्मस्थल का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। डॉ. डी. वीरेन्द्र हेगड़े धर्माधिकारी वहाँ की समस्त गतिविधियाँ चलाते हैं। यहाँ भगवान् बाहुबलि की विशाल मूर्ति विराजमान है। शिक्षण सस्थाओं, चिकित्सालय, छात्रावास, अतिथिगृह आदि महत्त्वपूर्ण स्थल हैं। कर्नाटक के तीर्थक्षेत्रों के दर्शनार्थ तीर्थयात्री जो वहाँ जाते हैं, वह सभी धर्मस्थलों के दर्शनार्थ अवश्य जाते हैं। यात्रियों के लिये भोजनालय बराबर चलते रहते हैं।
भगवान् महावीर की परम्परा एवं समसामयिक सन्दर्भ
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