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________________ पार्जितकीर्तिमन्नाकिनीपविचित्रत्रत्रिभुवनस्य परतपश्चरणरत्नोदन्वतः श्रीनेमिदेवभगतः प्रियशिष्येण वादीन्द्रकालनलश्रीमन्महेन्द्रदेवभट्टारकानुजैन स्याद्वादाचलसिंहतार्किकचक्रवादीभपंचाननवाक्कल्लोलपयोनिधिकविकुलराजकुंजरप्रभृतितिप्रशस्ति-प्रस्तावनालंकारेण षण्णवतिप्रकरणयुक्तिचिन्तामणि-त्रिवर्गमहेन्द्रमालिसंजल्प-यशोधरमहाराज-चरित-महाशास्रवेधसा श्रीमत्सोमदेवसूरिणा विरचितं नीतिवाक्यामृतं नाम राजनीतिशास्त्रं समाप्तम्।" श्रीमानस्ति स देवसंघतिलको देवो यशःपूर्वकः शिष्यस्तस्य बभूवसद्गुणनिधिः श्रीनेमिदेवालयः।। तस्याश्चर्यतप:स्थितेत्रिनयतेजेंतुर्महावादिनाम्। शिष्योऽभूदिह सोमदेव इति यस्तस्यैष काव्यक्रमः।। —यशस्तिलक, खण्ड 2, पृष्ठ 418. 43. ज्ञानार्णव, 42188. 44. जैन सन्देश, शोधांक 1, पृष्ठ 36. 45. जैन साहित्य और इतिहास, प्रथम संस्करण, पृष्ठ 452. 46. जैन साहित्य और इतिहास, पृष्ठ 314. 47. प्रशस्ति-संग्रह, प्रथम भाग, वीरसेवा मन्दिर, प्रस्तावना, पृष्ठ 61. 48. जयउ जए जियमाणो संजमदेवो मुणीसरो इत्थ। तहबि हु संजमसेणो माहवचन्दो गुख्तहय।। रइयं बहुसत्थत्यं उवजीवित्ता हु दुग्गएवेण। रिट्ठसमुच्चयसर्थ बयणेण संजमदेवस्स। —रिष्टसमुच्चय, गोधाग्रन्थमाला, इन्दौर संस्करण, गाथा - 254, 255। 49. सिरिकुंभणयरण (य; ए सिरिलच्छिणिवासणिवइरमि। सिरिसंतिणाह भवणे मुणि-भविअ-सम्मउमे ल्लने) रम्मे।। —रिष्टसमुच्चय, गाथा 2611 50. गोविन्दभट्ट इत्यासीद्विद्वान्मिथ्यात्ववर्जितः। देवागमनसूत्रस्य श्रुत्या सद्दर्शनान्वितः।।10।। -विक्रान्तकौरवप्रशस्ति। श्रीकुमारकविः सत्यवाक्यो देरवल्लभः।।12।। -विक्रान्तकौरवप्रशस्ति। उद्यद्भूषणानामा च हस्तिमल्लाभिधानकः। वर्धमानकविश्चेति षडभूवन् कवीश्वराः।।13।। -विक्रान्तकौरवप्रशस्ति। सूत्रधार......अस्ति किल सरस्वतीस्वयंवरवल्लभेन भट्टारगोविन्दस्वामिसूनुना हस्तिमल्लनाम्ना कहाकवितल्लजैन विरचिंत विक्रान्तकौरवं नाम रूपकमिति।। -विक्रान्तकौरवप्रशस्ति, पृष्ठ 3, माणिकचन्द्र ग्रन्थमाला, बम्बई 19721 52. __परमार्थप्रकाश, टी. पृष्ठ 7-8. 53. अनेकान्त, वर्ष 8, किरण 12, पृष्ठ 441. 54. ___ "जगत्पवित्रवब्रह्मक्षत्रियवंशभागे", चा. पु., पृष्ठ 5. 55. जैनसिद्धान्तभास्कर, भाग 6, किरण 4, पृष्ठ 261. 56. करकंडुचरिउ, प्रस्तावना, पृष्ठ 11-12. 57. मयणपराजयचरिउ, भारतीयज्ञानपीठ काशी, प्रस्तावना, पृष्ठ 61. भगवान् महावीर की परम्परा एवं समसामयिक सन्दर्भ 1093
SR No.032426
Book TitleBhagwan Mahavir ki Parampara evam Samsamayik Sandarbh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrilokchandra Kothari, Sudip Jain
PublisherTrilok Ucchastariya Adhyayan evam Anusandhan Samsthan
Publication Year2001
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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