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1002. प्रत्येक नाम कर्म किसे कहते हैं?
उ. जिस कर्म के उदय से जीव को एक स्वतंत्र शरीर की प्राप्ति हो उसे प्रत्येक नाम कर्म कहते हैं।
1003. किन-किन जीवों के प्रत्येक नाम कर्म का उदय होता है ?
उ. साधारण वनस्पतिकाय को छोड़कर शेष सभी जीवों के प्रत्येक नाम कर्म का उदय होता है।
1004. पर्याप्त नाम कर्म किसे कहते हैं?
उ. जिस कर्म के उदय से जीव स्वयोग्य पर्याप्तियां पूर्ण कर लेता है, उसे पर्याप्त नाम कर्म कहते हैं।
1005. पर्याप्त किसे कहते हैं ?
उ. स्वयोग्य पर्याप्तियां पूर्ण करने वाले जीव को पर्याप्त कहते हैं ।
1006. पर्याप्ति किसे कहते हैं?
उ. जन्म के प्रारम्भ में जो पौद्गलिक शक्ति का निर्माण होता है, उसे पर्याप्ति कहते हैं।
1007. पर्याप्ति कितनी व कौन-कौनसी हैं ?
उ. पर्याप्तियां छह हैं— आहार पर्याप्ति, शरीर पर्याप्ति, इन्द्रिय पर्याप्ति, श्वासोच्छ्रास पर्याप्ति, भाषा पर्याप्ति और मनः पर्याप्ति ।
1008. पर्याप्ति निर्माण का कालक्रम क्या है ?
उ. पर्याप्ति का प्रारम्भ एक साथ होता है। पूर्णता आहार पर्याप्ति की एक समय में हो जाती है तथा शेष की पूर्णता का काल क्रमशः एके-एक अन्तर्मुहूर्त है। 1009. पर्याप्ति जीव है या अजीव ?
उ. पर्याप्ति पौद्गलिक शक्ति होने के कारण अजीव है।
1010. किन-किन जीवों में कौन-कौनसी अथवा कितनी कितनी पर्याप्तियां पाई जाती हैं?
उ. एकेन्द्रिय में प्रथम चार ( भाषा व मन को छोड़कर), तीन विकलेन्द्रिय और असन्नी तिर्यंच पंचेन्द्रिय में पांच प्रथम (मन को छोड़कर), सन्नी पंचेन्द्रिय में छह तथा असन्नी मनुष्य में साढ़े तीन (मन, भाषा को छोड़कर तथा श्वास लेना उच्छ्वास नहीं), पायी जाती है।
1011. कोई भी जीव न्यूनतम कितनी पर्याप्तियां पूर्ण करता है?
उ. कोई भी जीव न्यूनतम प्रथम तीन पर्याप्तियां पूर्ण करता है। तीन पर्याप्तियों को पूर्ण करने के बाद ही जीव मृत्यु को प्राप्त हो सकता है, उससे पूर्व नहीं ।
210 कर्म-दर्शन