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फैलना, शब्द करना, इधर-उधर जाना, भयभीत होना, दौड़ना — ये क्रियाएं हैं और गति - आगति के विज्ञाता हैं वे त्रस हैं।
996.
सजीव कितने प्रकार के हैं?
उ. दो प्रकार के लब्धित्रस और गतित्रस ।
997. लब्धित्रस और गतित्रस किसे कहते हैं ?
उ. द्वीन्द्रिय से लेकर पंचेन्द्रिय तक जीव लब्धित्रस है, इनके त्रस - त्रस नाम कर्म का उदय होता है। अग्नि और वायु गतित्रस है । यद्यपि इनके स्थावर नाम कर्म का उदय है फिर भी गतिशीलता के कारण ये त्रस कहलाते हैं।
998.
त्रस जीवों के उत्पन्न होने के स्थान कितने व कौन - कौनसे हैं ? उ. त्रस जीवों के उत्पन्न होने के आठ स्थान हैं
(1) अण्डज-जो अण्डों से पैदा होते हैं, जैसे- पक्षी, सर्प आदि ।
(2) पोतज-जो जन्म के समय खुले अंगों सहित होते हैं, जैसे-हाथी आदि। (3) जरायुज - - जो जन्म के समय मांस की झिल्ली से लिपटे रहते हैं, जैसेमनुष्य, गाय, भैंस आदि ।
(4) रसज-जो दही आदि रसों में उत्पन्न होते हैं, जैसे- कृमि आदि । (5) स्वेदज - जो पसीने से उत्पन्न होते हैं, जैसे- जूं, लीख आदि । (6) सम्मूर्च्छिम - जो नर-मादा के संभोग के बिना ही उत्पन्न होते हैं, जैसेमक्खी, चींटी आदि ।
(7) उद्भिज्–जो पृथ्वी को फोड़कर निकलते हैं, जैसे टिड्डी, पतंग आदि। (8) औपपातिक - जो गर्भ में रहे बिना ही स्थान विशेष में पैदा होते हैं, जैसे - देव और नारक ।
999. बादर नाम कर्म किसे कहते हैं?
उ. जिस नाम कर्म के उदय से जीव को ऐसा स्थूल शरीर प्राप्त होता है जो आंखों से देखा जा सके उसे बादर नाम कर्म कहते हैं।
1000. बादर नाम कर्म का उदय किन-किन जीवों के होता है ?
उ. एकेन्द्रिय जीवों के सूक्ष्म और बादर दोनों नाम कर्म का उदय रहता है। शेष पंचेन्द्रिय तक सभी जीवों के बादर नाम कर्म का उदय रहता है।
1001. बादर जीव कहां रहते हैं ?
उ. लोक के एक भाग में ।
कर्म-दर्शन 209