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953. पांच स्थावर में संस्थान कौन-कौनसे हैं? उ. पांच स्थावर में हुण्डक संस्थान पाता है। अलग-अलग जानकारी की दृष्टि
से पांच स्थावर में संस्थान का विवरणपृथ्वीकाय का संस्थान - चन्द्र मसूर की दाल के समान। अप्काय का संस्थान
पानी के बुबुद के समान। तेजसकाय का संस्थान
सूई के करनाले के समान। वायुकाय का संस्थान
ध्वजा पताका के समान। वनस्पतिकाय का संस्थान - अनेक प्रकार का। 954. संस्थान कितने प्रकार का है? उ. संस्थान दो प्रकार का है
1. इत्थंस्थ - नियत आकार
2. अनित्थंस्थ - अनियत आकार 955. क्या पुद्गल के भी संस्थान होता है?
उ. हां, पुद्गल के भी संस्थान होता है। पौद्गलिक संस्थान के भी पांच प्रकार
1. वृत्त-कुलालचक्र की तरह बाहर से गोल तथा अन्दर से पोलाल रहित ___ मोदक की भांति। 2. परिमण्डल-वलय की तरह बाहर से गोल और भीतर से शुषिर-चुड़ी
की भांति। 3. त्रिकोण-सिंघाड़े की तरह। 4. चतुष्कोण-चौकोर-कुम्भिका की तरह। पंचकोण, षट्कोण, इसी में आ
जाते हैं।
5. आयत-दण्ड की तरह दीर्घ। यह विस्तृत अर्थ का भी बोधक है। 956. संहनन और संस्थान पुद्गल के होते हैं या जीव के? उ. संहनन और संस्थान दोनों पुद्गल के होते हैं। किन्तु संहनन और संस्थान
जीव-गृहीता शरीर रूप में परिणत पुद्गल विशेष में माना गया है। संस्थान शरीर के अतिरिक्त पुद्गल में भी होता है, उसका स्वरूप भिन्न है। शरीर
मुक्त जीव के संहनन और संस्थान दोनों नहीं होते। 957. वर्ण नाम कर्म किसे कहते हैं? उ. शरीर के रंग पर प्रभाव डालने वाले कर्म को वर्ण नाम कर्म कहते हैं। इसके
पांच प्रकार हैं—(1) कृष्णवर्ण नाम, (2) नीलवर्ण नाम, (3) रक्तवर्ण
202 कर्म-दर्शन
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