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है। मनीषियों की लेखनियों ने सरस्वती के भण्डार की अभिवृद्धि में पूरा योगदान दिया है किन्तु क्रियावाद अनछुआ रह गया। ___ साध्वी गवेषणा ने इस अपनी शोध का विषय चुनकर ज्ञान का नया द्वार खोला है। प्रस्तुत शोध-प्रबंध में “आगम-साहित्य' में प्रतिपादित क्रियाओं का समीचीन विश्लेषण अहिंसा की सूक्ष्म व्याख्या के सन्दर्भ में किया है। इस गंभीर विषय पर लिखना टेढ़ी खीर थी। पूज्यवरों का आशीर्वाद ही इनकी विषय यात्रा को गति दे सका है तथा लक्ष्य की पूर्णता तक पहुंच सकी है। दार्शनिक चिन्तन, अध्ययन क्षमता एवं प्रतिभा का मूल्यांकन तो विज्ञ लोग करेंगे। इतना अवश्य है कि आगम-अध्ययन करने का रास्ता इनके लिए प्रशस्त हुआ है। ___ “शोध-प्रबंध" किसी के लिये प्रेरणा-पाथेय बन सका तो लेखिका को आत्म-तोष की अनुभूति होगी। पच्चीस वर्ष से मेरे साथ रहने वाली सहवर्तिनी साध्वी गवेषणा के प्रति हर्षातिरेक के साथ मंगल कामना है कि लेखन कार्य में इनकी गति-प्रगति होती रहे। इनका उत्साह, आत्म-विश्वास और भीतर की जिज्ञासा, सफलता की ऊंचाइयां देता रहे।
इसी शुभाशंसा के साथ ...
पावस प्रवास
साध्वी नगीना
जोधपुर
वि.सं. 2064
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