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44. (क) सर्वार्थसिद्धि ; 5/24 छाया प्रकाशवरणनिमित्ता
(ख) जैन.सिद्धान्त दीपिका; 1/15 प्रतिबिम्ब रूप : पुद्गलपरिणाम: छाया। 45 (क) तत्त्वार्थ राजवार्तिक; 5/24, 20-21
(ख) सर्वार्थ सिद्धि; 5/24 46. वही, 5/24 -तमो दृष्टिप्रतिबन्धकारणं प्रकाशविरोधी। 47. जैन सिद्धान्त दीपिका; 1/15 कृष्णवर्णबहुल: पुद्गलपरिणामविशेषः तमः। 48. जैन दर्शन स्वरूप और विश्लेषण; पृ.185 49. जैन सिद्धान्त दीपिका; 1/15 50. सर्वार्थ सिद्धि; 5/24, 51. जैन सिद्धान्त दीपिका; 1/15 52. तत्त्वार्थाधिगम भाष्यवृत्ति; 5/24 पृ. 360 53. भगवईवृत्ति पत्र; 328 54. तत्त्वार्थाधिगम भाष्यवृत्ति; 5/24 पृ. 360 जीवव्यापारेण शरीरादितया परिणता :। 55. तत्त्वार्थ वार्तिक;.5/24 पृ. 487 56. भगवई; 8/2/39 57. तत्वार्थ सूत्र; 8/3, पृ. पत्र- 128 58. भगवई 8/1/1 59. तत्त्वार्थाधिगम भाष्यवृत्ति; 15/24, पृ. 360 . 60. भगवती वृत्ति पत्र; 328 प्रयोग परिणतेषु विनसा सत्यपि न विवक्षिता इति या 61. अवस्थी, नरेन्द्र शाश्वत, 1997, पृ. 2/4-5 62. भगवई खण्ड 2, 8/32-41 का भाष्य 63. वही; पृ. 59 . 64. तत्त्वार्थाधिगम भाष्यवृत्ति; .5/24, पृ. 360 65. उत्तराध्ययन; 28/10 66. तत्त्वार्थसूत्र; 5/22 67. ज्ञानोदय विज्ञान अंक पृ. 114 68. वही; पृ. 59
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अहिंसा की सूक्ष्म व्याख्याः क्रिया