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225. झीणी चर्चा ढाल; 6/12-13 226. भगवई; 5/4/110 227. पाश्चात्य दर्शन का ऐतिहासिक विवेचन, पृ. 19 228. चूर्णि; पृ. 352 229. भगवती भाष्य; 1/444-445, 3/148, 6/29,7/4-5, 20-21, 125-126, 8/
302-314, 10/11-14, 18/159-160 230. तत्त्वार्थ सूत्र, सर्वार्थ सिद्धि टीका, 6/4/321 सम्परायः संसार: तत्प्रयोजनं कर्म
साम्परायिकम्। 231.भगवती भाष्य; 7/20-21 232. भगवती वृत्ति; खण्ड-2 6/29, पृ. 243 233. स्थानांग वृत्ति; पत्र 37 234. भगवती; 16/1 235. प्रज्ञापना; 22 236. आदिपुराण; 48/50-68 237. पातञ्जल योग दर्शन; 3/45 237. (अ) जैन धर्म और तांत्रिक पृ. 5 237. (ब) जैन धर्म और तांत्रिक साधना 237. (स) ठाणं; 4/364, टि.पृ. 515 238. ठाणांग; 2/60 टीका 239. गीता; 18/18 240. वही; 14/25 241. वही; 5/7 242. आवश्यक सूत्र, चतुर्थ आवश्यक 243. सूत्रकृतांग, 2/2/39 244. समवायांग - 1/18
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अहिंसा की सूक्ष्म व्याख्याः क्रिया