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शुभाशंसा
गणाधिपति गुरुदेव श्री तुलसी और आचार्यश्री महाप्रज्ञ के जीवनकाल का एक महत्त्वपूर्ण अवदान है-जैन आगमों का सम्पादन और अनुवादन आदि कार्य। यह कार्य वि.सं. २०१२ में शुरू हुआ था और आज तक चल रहा है। इस कार्य में अनेक साधु-साध्वियों, समणियों और श्रावकों का सहयोग रहा है। उनमें एक उल्लेख्य नाम है-'आगममनीषी मुनि दुलहराजजी स्वामी।' वे लम्बे काल से इस महायज्ञ में अपनी आहुतियां देते रहे हैं। उनके द्वारा समय-समय पर लिखे गए निबन्धों से गुंफित प्रस्तुत पुस्तक है-'आगम-सम्पादन की यात्रा।'
यह पुस्तक अतीत के आलोक में आगम-सम्पादन के संदर्भ में एक सुन्दर एवं तथ्यपरक ऐतिहासिक जानकारी देती है। इसके सम्पादन में शासनश्री मुनि राजेन्द्रकुमारजी स्वामी का श्रम मुखर हो रहा है।
प्रस्तुत पुस्तक से पाठकों को गणाधिपति गुरुदेव तुलसी के वाचनाप्रमुखत्व और आचार्य महाप्रज्ञ के प्रधान संपादकत्व में निष्पादित आगम-सम्पादन के बारे में विशद जानकारी प्राप्त हो सकेगी। नसीराबाद
आचार्य महाश्रमण १४ मार्च २०११, सोमवार