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११. लोगस्स का वर्षीतप
अर्हत् ऋषभ की तपस्या के आधार पर वर्षीतप की परम्परा चल रही है। आचार्य महाप्रज्ञ के अनुसार वर्षीतप के अनेक प्रयोग हो सकते हैं जो आध्यात्मिक विकास के लिए प्रासंगिक हैं१. एक वर्ष तक प्रतिदिन तीन घंटा कायोत्सर्ग का प्रयोग करें। २. एक वर्ष तक प्रतिदिन तीन घंटा ध्यान का प्रयोग करें। ३. एक वर्ष में किसी भी समय असहिष्णुता का भाव आने पर दूसरे दिन
उपवास करें। ४. एक वर्ष में उत्तेजना पूर्ण व्यवहार होने पर दूसरे दिन उपवास करें। ५. एक वर्ष में अनुशासन और व्यवस्था का अतिक्रमण होने पर दूसरे दिन
उपवास करें।
गणाधिपति गुरुदेव श्री तुलसी का चिंतन तथा ऐसा मानना था कि वर्षीतप की तरह मौन व समता का वर्षीतप भी करें। इस प्रकार कुछ आचार्यों ने स्वाध्याय तथा मंत्र जप की दृष्टि से लोगस्स का वर्षीतप करने का भी निर्देश दिया है। लोगस्स का वर्षीतप
वर्षीतप के समान लोगस्स का वर्षीतप करने वाले भाई-बहन चैत्र कृष्णा ८ से प्रारंभ करें। नीचे बारह महिनों के कोष्ठक दिये हैं। उनमें क्रम से प्रत्येक तारीख के पास एक संख्या लिखी हुई है। माह की उस तारीख को लिखी हुई संख्या के अनुसार लोगस्स का जाप करें। यथा जनवरी की एक तारीख को ५४ लोगस्स का, २ को २७ का...इसी तरह जाप करें।
यह वर्षीतप दो वर्ष तक करने का लक्ष्य रखें।
लोगस्स का वषीतप / १०६