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६. अच्छे अनुष्ठान वाले या जिनके दर्शन स्मरण से प्राणी पूर्ण भाग्यवान होते
हैं। जब वे गर्भ में थे तब उनकी माता अभयदान, सुपात्रदान आदि धर्म की सभी विधियों में निपुणा हुई। उन्होंने गर्भ के प्रभाव से सम्यक् न्याय किया, इस कारण सुविधिनाथ और पुष्प के कारण स्वच्छ दांतों की छटा होने से अपर नाम पुष्पदंत भी है-मोक्ष गति को प्राप्त ऐसे गुण निष्पन्न नाम वाले सुविधि/पुष्पदंत भगवान को मेरा वंदन हो। आधि, व्याधि से होने वाले समस्त संतापों को मिटाकर प्राणियों को चन्द्रमा, चंदन आदि से भी अधिक शीतल शांति को या कषाय के उपशम, क्षय रूप शीतलता को देने वाले अथवा जब वे गर्भ में थे तब इनकी माता के कर-कमल का स्पर्श होते ही पिता का असाध्य दाह ज्वर उपशांत हो गया। इस कारण शीतलनाथ नाम वाले दसवें भगवान सिद्धि सदन को प्राप्त हैं,
उनको मेरा वंदन। ११. तीन लोक का हित करने वाले अथवा जिनके पिता के यहां पितृ परम्परा से
प्राप्त एक शय्या देवाधिष्ठित थी, जिससे उस पर बैठने वाले को उपसर्ग होता था किन्तु भगवान जब गर्भ में थे तब उस शय्या पर उनकी माता के बैठते ही देवकृत उपसर्ग नष्ट हो गया। इस प्रकार श्रेय (कुशल) करने वाले,
संसार से पार करने वाले श्री श्रेयांसनाथ को मेरा वंदन। १२. जब वे गर्भ में थे तब उनकी माता इन्द्र के द्वारा बार-बार सम्मानित हुई।
इन्द्रों के द्वारा वसु अर्थात् रत्नों की वृष्टि होने से वासुपूज्य कहलाए, ऐसे यथार्थ नाम वाले वासुपूज्य भगवान मुनियों के पुज्य या रत्नत्रय रूप
वसु-सम्पत्ति के प्रकाशक हैं, उन्हें मेरा वंदन हो। १३. जिनका कर्ममल सर्वथा नष्ट हो चुका है या जो दुर्गति में गिरते प्राणियों को
धारण करने वाले, निर्मल स्वरूप वाले अथवा उनके गर्भ में आने पर जिनकी माता की बुद्धि निर्मल हो गई, ऐसे यथा नाम तथा गुणवाले
विमलनाथ भगवान को मेरा वंदन। १४. अविनाशी पद को प्राप्त करने वाले, अनंत-ज्ञान, दर्शन आदि आत्मिक गुणों
के दाता अथवा जिनके गर्भ में आने पर माँ ने अनंत आकाशवाली रत्नमाला
को स्वप्न में देखा था। अतएव अनंत नाम वाले महाप्रभु को मेरा वंदन। १५. दुर्गति में पड़ते जीवों के उद्धारक, श्रुत-चारित्र रूप धर्म के उपदेशक अथवा
गर्भ में आने पर जिनकी माता विशेष रूप से धर्मपरायण हुई। ऐसे गुण
निष्पन्न धर्मनाथ को मेरा वंदन। १६. शांतिनाथ भगवान की माता जिस देश में थी, वहाँ एक बार सर्वत्र बीमारी
१७० / लोगस्स-एक साधना-१