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पृष्ठ सूत्र पंक्ति
अशुद्ध ८४६४९५] २ .....? पृच्छा । ५ ३ गौतम! हीन
गौतम (सूक्ष्मसम्पराय-संयत विजातीय संयम-स्थानों के संयोजन की अपेक्षा
यथाख्यात-संयत से) हीन २ गौतम ! सयोगी
गौतम! (सामायिक-संयत) सयोगी गौतम! साकार
गौतम ! (सामायिक-संयत) साकार गौतम! कषाय
गौतम! (सामायिक-संयत) कषाय २ होता। कषाय-कुशील की होता, कषाय-कुशील (भ. २५/
३६९,३७०) की ३ (भ. २५/३६९,३७०)। इसी |। इसी ४ की पुलाक की भांति वक्तव्यता पुलाक (भ. २५/३६७,३६८) की
(भ. २५/३६७,३६८) भांति (वक्तव्य है) १ .....? पृच्छा
-पृच्छा गौतम! कषाय
गौतम! (सूक्ष्मसम्पराय-संयत) कषाय की निर्ग्रन्थ की
निर्ग्रन्थ (भ. २५/३७१,३७२) की सामायिक संयत
(सामायिक संयत) है (भ. २५/३७५, ३७६) कषाय- है कषाय-कुशील (भ. २५/३७५, | ३ कुशील की
|३७६) की की पुलाक की भांति (भ. २५/ पुलाक (भ. २५/३७३,३७४) की ३७३,३७४
भांति (वक्तव्य है)। ४,५ |संयत की निर्ग्रन्थ की भांति । संयत निर्ग्रन्थ
(भ. २५/३७७,३७८)। (भ. २५/३७७,३७८) की भांति
पृष्ठ सूत्र पंक्ति अशुद्ध ८५०] ५२६] ३ | गौतम ! जघन्यतः
गौतम ! (सामायिक-संयत के एक भव
| में) जघन्यतः ३ | बकुश की भांति वक्तव्यता (भ. |बकुश (भ. २५/४१७) की भांति २५/४१७)
(वक्तव्य है)। २ | गौतम ! जघन्यतः
गौतम! (छेदोपस्थापनिक-संयत के)
जघन्यतः ८५० । २ | पृथक्त्व-बीस
पृथक्त्व (पांच या छह)-बीस आकर्ष।
(आकर्ष प्रज्ञप्त हैं)।
सूत्र पंक्ति
अशुद्ध सर्वत्र १ |....? पृच्छा गौतम! आयुष्य
| गौतम! (सूक्ष्मसम्पराय-संयत)
आयुष्य, ३ | की स्नातक की भांति वक्तव्यता स्नातक (भ. २५/३९४) की भांति (भ. २५/३९४)
(वक्तव्य है)। ५१२/ २ | गौतम! नियमतः
गौतम! (सामायिक-संयत) नियमतः | २ | गौतम! सात
गौतम! (यथाख्यात-संयत) सात गौतम! बकुश
गौतम! (सामायिक-संयत) बकुश | २ | बकुश-निर्ग्रन्थ की तरह बकुश-निर्ग्रन्थ (भ. २५/३९९) की
भांति २-३ | उदीरणा करता है...(भ. २५/३९९) उदीरणा करता है। |गौतम! छह
गौतम! (सूक्ष्मसम्पराय-संयत) छह |
हुआ
(वक्तव्य है)।
५-६ -संयत की स्नातक की भांति -संयत स्नातक (भ, २५/३७९,
वक्तव्यता (भ.२५/३७९,३८०),३८०) की भांति (वक्तव्य है), इतना
केवल इतना | ३ गौतम ! वर्धमान
गौतम! (सामायिक-संयत) वर्धमान| १ |.......पृच्छा | २ गौतम! वर्धमान
गौतम !(सूक्ष्मसम्पराय-संयम)
वर्धमान२ गौतम! जघन्यतः
गौतम ! (सामायिक-संयत) जघन्यतः २ गौतम! जघन्यतः
गौतम ! (सूक्ष्मसम्पराय-संयत)
जघन्यतः २ पूर्ववत्
इसी प्रकार | २ गौतम! जघन्यतः
गौतम! (यथाख्यात-संयत) जपन्यतः अन्तर्मुहूर्त।
अन्तर्मुहुर्त (तक वर्धमान परिणाम वाल
होता है)। गौतम! जघन्यतः
गौतम! (यथाख्यात-संयत) जघन्यतः -कोटि-पूर्व
-कोटि-पूर्व (तक अवस्थित-परिणाम
वाला होता है)। ५१० २ गौतम! सात
गौतम ! (सामायिक-संयत) सात , | ३ बकुश की भांति वक्तव्यता बकुश (भ. २५/३९१) की भांति (भ. २५/३९१)।
(वक्तव्य है)।
१ |.....? पृच्छा
-पृच्छा २ | गौतम ! पांच
गौतम ! (यथाख्यात-संयत) पांच
हुआ ५ | निर्ग्रन्थ की
| निर्ग्रन्थ (भ. २५/४०१) की (भ. २५/४०१) | गौतम! वह
गौतम! (वह) करता है,
करता है। १ छेदोपस्थापनिक
छेदोपस्थापनिक-संयत २ | गौतम! छेदोपस्थापनिक- गौतम! (छेदोपस्थापनिक-संयत)
छेदोपस्थापनिक५१९| २ | गौतम! परिहारविशुद्धिक- गौतम! (परिहारविशुद्धिक-संयत)
परिहारविशुद्धिक५२० २ गौतम! सूक्ष्मसम्पराय
गौतम ! (सूक्ष्मसम्पराय-संयत)
सूक्ष्मसम्पराय,५२१२ गौतम! यथाख्यात
गौतम! (यथाख्यात-संयत)
यथाख्यातनो-संज्ञोपयुक्त
नोसंज्ञोपयुक्त | २ | गौतम! संज्ञोपयुक्त
गौतम! (सामायिक-संयत) संज्ञोपयुक्त | २ | बकुश की भांति वक्तव्यता (म. बकुश (भ. २५/४१०) की भांति २५/४१०)।
(वक्तव्य है)। ३,४ | पुलाक की भांति वक्तव्यता (भ. |पुलाक (भ. २५/४०९) की भांति २५/४०९)।
(वक्तव्य है)। १.२ | पुलाक की भांति वक्तव्यता (भ. | पुलाक (भ. २५/४११) की भांति २५/४११)
(वक्तव्य है)। | २ |गौतम! जघन्यतः
गौतम ! (सामायिक-संयत) जघन्यतः | १ |.....? पृच्छा
-पृच्छा | ८५० ५२५/ २ | गौतम! जघन्यतः
गौतम! (परिहारविशुद्धिक-संयत)
जघन्यतः २६ १ आकर्ष-स्पर्श
आकर्ष-सामायिक
| परिहारविशुद्धिक-संयत परिहारविशुद्धिक-संयत के २. गौतम ! जघन्यतः
गौतम! (परिहारविशुद्धिक-संयत के
जघन्यतः १ | सूक्ष्मसम्पराय-संयत
(सूक्ष्मसम्पराय-संयत के) -संयत.....? पृच्छा
-संयत-पृच्छा २ गौतम ! जघन्यतः
गौतम! (सूक्ष्मसम्पराय-संयत के)
जघन्यतः १ यथाख्यात-संयत
(यथाख्यात-संयत के) २ | गौतम ! जघन्यतः
गौतम! (यथाख्यात-संयत के)
जघन्यतः ३ | गौतम ! बकुश की भांति वक्तव्यता | गौतम! (सामायिक-संयत के अनेक (भ. २५/४२१)
जन्मों में) (आकर्ष-सामायिकसंयतत्व के स्पर्श) बकुश (भ. २५/
४२१) की भांति (वक्तव्य हैं)। | ५३२| २ | गौतम ! जघन्यतः
गौतम! (छेदोपस्थापनिक-संयत के
अनेक जन्मों में) जघन्यतः ५३२] २ | कम (नौ सौ साठ) आकर्ष। कम (नौ सौ साठ-८४१२०) आकर्ष
(प्रज्ञप्त हैं)।
((एक) | अपेक्षा से
अपेक्षा) गौतम ! जघन्यतः
गौतम ! (एक सामायिक-संयत काल
की अपेक्षा) जघन्यतः २,४ | कोटि-पूर्व।
कोटि-पूर्व (तक रहता है)। ४,५ की निर्ग्रन्थ की भांति (भ. २५/निर्ग्रन्थ (भ. २५/४२६) की भांति ४२६),
(वक्तव्य है), -संयत की सामायिक संयत की |-संयत सामायिक-संयत
भांति ., | ६ | वक्तव्यता (भ. २५/५३३)। (भ. २५/५३३ की भांति (वक्तव्य
है)। २ | गौतम! सर्वकाल।
गौतम! ((अनेक) सामायिक-संयत
की अपेक्षा) सर्वकाल (तक रहते हैं) । १ .....? पृच्छा
-पृच्छा २ गौतम! जघन्यतः
गौतम! ((अनेक) छेदोपस्थापनिकसंयत) जघन्यतः
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