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श. २५ : उ. ६ : सू. ३१९-३२७
भगवती सूत्र प्रकार प्रतिषेवणा-कुशील की भी वक्तव्यता। ३२०. कषायकुशील .......? पृच्छा (भ. २५/३१९)।
गौतम! तीर्थ में होता है अथवा अतीर्थ में होता है। ३२१. यदि अतीर्थ में होता है तो क्या वह तीर्थंकर होता है? अथवा प्रत्येक-बुद्ध होता है? गौतम! तीर्थंकर भी होता है अथवा प्रत्येक-बुद्ध भी होता है। इसी प्रकार निर्ग्रन्थ की भी
वक्तव्यता। इसी प्रकार स्नातक की भी वक्तव्यता। लिंग-पद ३२२. भन्ते! क्या पुलाक स्वलिंग में होता है? अन्यलिंग में होता है? गृहिलिंग में होता है? गौतम! द्रव्यलिंग की अपेक्षा स्वलिंग में होता है अथवा अन्यलिंग में होता है अथवा गृहिलिंग में होता है। भावलिंग की अपेक्षा नियमतः स्वलिंग में होता है। इसी प्रकार यावत् स्नातक
की वक्तव्यता। शरीर-पद ३२३. भन्ते! पुलाक कितने शरीरों से संपन्न होता है?
गौतम! औदारिक-तेजस-कर्मक-इन तीनों शरीरों से संपन्न होता है। ३२४. भन्ते! बकुश...........? पृच्छा (भ. २५/३२३)। गौतम! तीन अथवा चार शरीरों से संपन्न होता है। यदि तीन से संपन्न होता है तो औदारिक, तेजस और कर्मक इन तीन शरीरों से संपन्न होते हैं। यदि वह चार से संपन्न होता है तो
औदारिक, वैक्रिय, तेजस् और कर्मक-इन चार शरीरों से संपन्न होता है। इसी प्रकार प्रतिषेवणा-कुशील की भी वक्तव्यता। ३२५. कषाय-कुशील .............? पृच्छा (भ. २५/३२३)। गौतम! तीन अथवा चार अथवा पांच शरीरों से संपन्न होता है। यदि वह तीन से संपन्न होता है तो औदारिक, तैजस और कर्मक-इन तीन शरीरों से संपन्न होता है। यदि वह चार से संपन्न होता है तो औदारिक, वैक्रिय, तैजस और कर्मक-इन चार शरीरों से संपन्न होता है। यदि वह पांच से संपन्न होता है तो औदारिक, वैक्रिय, आहारक, तैजस, कर्मक-इन पांच शरीरों से संपन्न होता है। निर्ग्रन्थ और स्नातक की पुलाक की भांति वक्तव्यता। ३२६. भन्ते! क्या पुलाक कर्मभूमि में उत्पन्न होता है? अकर्मभूमि में उत्पन्न होता है? गौतम! जन्म और सद्भाव (विद्यमानता) की अपेक्षा कर्मभूमि में उत्पन्न होता है, अकर्मभूमि में उत्पन्न नहीं होता। ३२७. बकुश...............? पृच्छा (भ. २५/३२६)। गौतम! जन्म और सद्भाव की अपेक्षा कर्मभूमि में उत्पन्न होता है, अकर्मभूमि में उत्पन्न नहीं होता।
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