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भगवती सूत्र
श. २५ : उ. ४ : सू. ११९-१२७ गौतम! द्रव्य की अपेक्षा (एक) जीव कृतयुग्म नहीं है, त्र्योज नहीं है, द्वापरयुग्म नहीं है, कल्योज है। इसी प्रकार (एक) नैरयिक भी। इसी प्रकार यावत् (एक) सिद्ध । १२०. भन्ते! द्रव्य की अपेक्षा (अनेक) जीव क्या कृतयुग्म हैं.....? पृच्छा। गौतम! ओघ (समुच्चय) की अपेक्षा से (अनेक) जीव कृतयुग्म हैं, त्र्योज नहीं हैं, द्वापरयुग्म नहीं हैं, कल्योज नहीं हैं; विधान (एक-एक जीव के प्रदेश) की अपेक्षा से जीव कृतयुग्म नहीं हैं, योज नहीं हैं, द्वापरयुग्म नहीं हैं, कल्योज हैं। १२१. भन्ते! द्रव्य की अपेक्षा (अनेक) नैरयिक जीव......? पृच्छा। गौतम! ओघ की अपेक्षा से स्यात् (अनेक) नैरयिक कृतयुग्म हैं यावत् स्यात् कल्योज हैं; विधान की अपेक्षा से (अनेक) नैरयिक कृतयुग्म नहीं हैं, त्र्योज नहीं हैं, द्वापरयुग्म नहीं हैं,
कल्योज हैं। इसी प्रकार यावत (अनेक) सिद्धों की वक्तव्यता। १२२. भन्ते! प्रदेश की अपेक्षा (एक) जीव क्या कृतयुग्म है.....? पृच्छा। गौतम! जीव-प्रदेशों की अपेक्षा (एक) जीव कृतयुग्म है, त्र्योज नहीं है, द्वापरयुग्म नहीं है, कल्योज नहीं है। शरीर के प्रदेशों की अपेक्षा (एक) जीव स्यात् कृतयुग्म है, यावत् स्यात् कल्योज है। इसी प्रकार यावत् वैमानिक की वक्तव्यता। १२३. भन्ते! प्रदेश की अपेक्षा (एक) सिद्ध क्या कृतयुग्म है......? पृच्छा। गौतम! प्रदेश की अपेक्षा (एक) सिद्ध कृतयुग्म है, त्र्योज नहीं है, द्वापरयुग्म नहीं है, कल्योज नहीं है। १२४. भन्ते! प्रदेश की अपेक्षा (अनेक) जीव क्या कृतयुग्म हैं......? पृच्छा।
गौतम! जीव-प्रदेशों की अपेक्षा ओघादेश से भी, विधानादेश से भी (अनेक) जीव कृतयुग्म हैं, त्र्योज नहीं हैं, द्वापरयुग्म नहीं हैं, कल्योज नहीं हैं। शरीर के प्रदेशों की अपेक्षा ओघादेश से (अनेक) जीव स्यात् कृतयुग्म हैं यावत् स्यात् कल्योज हैं। विधानादेश से (अनेक) जीव कृतयुग्म भी हैं यावत् कल्योज भी हैं। इसी प्रकार नैरयिकों की भी वक्तव्यता। इसी प्रकार यावत् वैमानिकों की वक्तव्यता। १२५. भन्ते! (अनेक) सिद्ध.......? पृच्छा। गौतम! (अनेक) सिद्ध ओघादेश से भी, विधानादेश से भी कृतयुग्म हैं, त्र्योज नहीं हैं,
द्वापरयुग्म नहीं हैं, कल्योज नहीं हैं। १२६. भन्ते! क्या (एक) जीव कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ है.....? पृच्छा। गौतम! (एक) जीव स्यात् कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ है, यावत् स्यात् कल्योज-प्रदेशावगाढ है। इसी प्रकार यावत् (एक) सिद्ध की वक्तव्यता। १२७. भन्ते! क्या (अनेक) जीव कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ हैं......? पृच्छा। गौतम! (अनेक) जीव ओघादेश से कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ हैं, त्र्योज-प्रदेशावगाढ नहीं हैं, द्वापरयुग्म-प्रदेशावगाढ नहीं हैं, कल्योज-प्रदेशावगाढ नहीं हैं; विधानादेश से कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ भी हैं, यावत् कल्योज-प्रदशावगाढ भी हैं।
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