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भगवती सूत्र
श. २५ : उ. ३ : सू. ८५-९१ सादि-सपर्यवसित नहीं हैं, स्यात् सादि-अपर्यवसित हैं। शेष तीनों ही विकल्प पूर्ववत्। ऊर्ध्व-अधः की ओर लम्बी आकाश-प्रदेश की श्रेणियों के औधिक (समुच्चय) के चतुर्भंग (चार विकल्प) वक्तव्य हैं। ८६. भन्ते! आकाश-प्रदेश की श्रेणियां द्रव्य की अपेक्षा क्या कृतयुग्म हैं, त्र्योज हैं....? पृच्छा । गौतम! आकाश-प्रदेश की श्रेणियां द्रव्य की अपेक्षा कृतयुग्म हैं, त्र्योज नहीं हैं, द्वापरयुग्म नहीं हैं, कल्योज नहीं है। इसी प्रकार यावत् ऊर्ध्व-अधः की ओर लम्बी आकाश-प्रदेश की श्रेणियों की वक्तव्यता। इसी प्रकार लोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियों की वक्तव्यता। इसी प्रकार
अलोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियों की वक्तव्यता। ८७. भन्ते! आकाश-प्रदेश की श्रेणियां प्रदेश की अपेक्षा क्या कृतयुग्म-प्रदेश वाली हैं.....? पूर्ववत्। इसी प्रकार यावत् ऊर्ध्व-अधः की ओर लम्बी आकाश-प्रदेश की श्रेणियों की
वक्तव्यता। ८८. भन्ते! लोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियां प्रदेश की अपेक्षा....? पृच्छा। गौतम! लोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियां प्रदेश की अपेक्षा स्यात् कृतयुग्म-प्रदेशवाली हैं, त्र्योज-प्रदेश वाली नहीं हैं, स्यात् द्वापरयुग्म-प्रदेश वाली हैं, कल्योज-प्रदेश वाली नहीं है। इसी प्रकार पूर्व-पश्चिम आकाश-प्रदेश की ओर लम्बी श्रेणियां भी, दक्षिण-उत्तर आकाश-प्रदेश
की ओर लम्बी श्रेणियां भी। ८९. भन्ते! ऊर्ध्व-अधः लोकाकाश-प्रदेश की ओर लम्बी श्रेणियां प्रदेश की अपेक्षा ..........? पृच्छा । गौतम! ऊर्ध्व-अधः लोकाकाश-प्रदेश की ओर लम्बी श्रेणियां प्रदेश की अपेक्षा कृतयुग्म-प्रदेश वाली हैं, योज-प्रदेश वाली नहीं हैं, द्वापरयुग्म-प्रदेश वाली नहीं है, कल्योज-प्रदेश वाली नहीं है। ९०. भन्ते! अलोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियां प्रदेश की अपेक्षा...? पृच्छा। गौतम! अलोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियां प्रदेश की अपेक्षा स्यात् कृतयुग्म-प्रदेश वाली हैं, यावत् स्यात् कल्योज-प्रदेश वाली हैं। इसी प्रकार पूर्व-पश्चिम की ओर लम्बी आकाश-प्रदेश की श्रेणियां भी। इसी प्रकार दक्षिण-उत्तर की ओर लम्बी आकाश-प्रदेश की श्रेणियां भी। इसी प्रकार ऊर्ध्व-अधः की ओर लम्बी आकाश-प्रदेश की श्रेणियां भी, केवल इतना विशेष है-कल्योज-प्रदेश वाली नहीं हैं। शेष पूर्ववत्। ९१. भन्ते! श्रेणियां कितनी प्रज्ञप्त हैं? गौतम! श्रेणियां सात प्रज्ञप्त हैं जैसे-१. ऋजुआयता-सीधी और लम्बी। २. एकतोवक्रा-एक दिशा में वक्र। ३. द्वितोवक्रा दोनों ओर वक्र। ४. एकतःखहा-एक दिशा में अंकुश की तरह मुड़ी हुई; जिसके एक ओर त्रसनाड़ी का आकाश होता है। ५. द्वितोखहा-दोनों ओर अंकुश की तरह मुड़ी हुई; जिसके दोनों ओर त्रसनाड़ी का आकाश
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