________________
भगवती सूत्र
श. २५ : उ. ३ : सू. ७०-७७
गौतम! एक परिमण्डल-संस्थान (ओघ को अपेक्षा से) स्यात् कृतयुग्म-समय की स्थिति वाला है यावत् स्यात् कल्योज-समय की स्थिति वाला है। इसी प्रकार यावत् आयत-संस्थान की वक्तव्यता। ७१. भन्ते! (अनेक) परिमण्डल-संस्थान क्या कृतयुग्म-समय की स्थिति वाले हैं?....पृच्छा। गौतम! (अनेक) परिमण्डल-संस्थान ओघ की अपेक्षा से स्यात् कृतयुग्म-समय की स्थिति वाले हैं यावत् स्यात् कल्योज-समय की स्थिति वाले हैं, विधान की अपेक्षा से कृतयुग्म-समय की स्थिति वाले भी हैं यावत् कल्योज-समय की स्थिति वाले भी हैं। इसी प्रकार यावत् आयत-संस्थान की वक्तव्यता। ७२. भन्ते! (एक) परिमण्डल-संस्थान कृष्ण-वर्ण-पर्यवों की अपेक्षा से क्या कृतयुग्म-पर्याय वाला है यावत् कल्योज-पर्याय वाला है? गौतम! (एक) परिमण्डल-संस्थान कृष्ण-वर्ण-पर्यवों की अपेक्षा से स्यात् कृतयुग्म-पर्याय वाला है (......)-इस प्रकार इस अभिलाप के अनुसार पूर्ववत् स्थिति की वक्तव्यता। इसी प्रकार नील-वर्ण-पर्यवों की अपेक्षा से वक्तव्यता। इसी प्रकार पांच वर्ण, दो गंध, पांच रस,
आठ स्पर्श यावत् रूक्ष-स्पर्श-पर्यवों की अपेक्षा से वक्तव्यता। श्रेणी-पद ७३. भन्ते! आकाश-प्रदेश की श्रेणियां द्रव्य की अपेक्षा क्या संख्येय हैं? असंख्येय हैं?
अनन्त हैं? गौतम! आकाश-प्रदेश की श्रेणियां द्रव्य की अपेक्षा संख्येय नहीं हैं, असंख्येय नहीं हैं,
अनन्त हैं। ७४. भन्ते! पूर्व-पश्चिम की ओर लम्बी आकाश-प्रदेश की श्रेणियां द्रव्य की अपेक्षा क्या संख्येय हैं.....? पूर्ववत्। इसी प्रकार दक्षिण-उत्तर की ओर लम्बी आकाश-प्रदेश की श्रेणियां भी। इसी प्रकार ऊर्ध्व-अधः की ओर लम्बी आकाश-प्रदेश की श्रेणियां भी। ७५. भन्ते! लोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियां द्रव्य की अपेक्षा क्या संख्येय हैं? असंख्येय हैं?
अनन्त हैं? गौतम! लोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियां द्रव्य की अपेक्षा संख्येय नहीं हैं, असंख्येय हैं, अनन्त नहीं हैं। ७६. भन्ते! पूर्व-पश्चिम की ओर लोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियां द्रव्य की अपेक्षा क्या संख्येय... हैं? पूर्ववत्। इसी प्रकार दक्षिण-उत्तर की ओर लम्बी लोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियां भी। इसी प्रकार ऊर्ध्व-अधः की ओर लम्बी लोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियां भी। ७७. भन्ते! अलोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियां द्रव्य की अपेक्षा क्या संख्येय हैं? असंख्येय हैं?
अनन्त हैं? गौतम! अलोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियां द्रव्य की अपेक्षा संख्येय नहीं है, असंख्येय नहीं हैं, अनन्त हैं। इसी प्रकार पूर्व-पश्चिम को ओर लंबी अलोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियां भी। इसी
७९३