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श. १९ : उ. ८ : सू. ९१-१००
भगवती सूत्र ९१. नैरयिकों की पृच्छा।
गौतम! एक हुंड-संस्थान-निवृत्ति प्रज्ञप्त है। ९२. असुरकुमारों की पृच्छा। गौतम! एक समचतुरस्र-संस्थान-निवृत्ति प्रज्ञप्त हैं। इस प्रकार यावत् स्तनितकुमारों की
वक्तव्यता। ९३. पृथ्वीकायिक जीवों की पृच्छा।
गौतम! एक मसूरचंद-संस्थान-निर्वृत्ति प्रज्ञप्त है। इस प्रकार जिसमें जितने संस्थान प्राप्त हैं, यावत् वैमानिकों की वक्तव्यता। ९४. भंते! संज्ञा-निर्वृत्ति कितने प्रकार की प्रज्ञप्त है? गौतम! संज्ञा-निवृत्ति चार प्रकार की प्रज्ञप्त है, जैसे-आहार-संज्ञा-निर्वृत्ति यावत् परिग्रह-संज्ञा-निर्वृत्ति। इस प्रकार यावत् वैमानिकों की वक्तव्यता। ९५. भंते! लेश्या-निवृत्ति कितने प्रकार की प्रज्ञप्त है?
गौतम! लेश्या-निर्वृत्ति छह प्रकार की प्रज्ञप्त है, जैसे-कृष्ण-लेश्या-निर्वृत्ति यावत् शुक्ल-लेश्या-निवृत्ति। इस प्रकार यावत् वैमानिकों की वक्तव्यता, जिसमें जितनी लेश्याएं प्राप्त
९६. भंते! दृष्टि-निर्वृत्ति कितने प्रकार की प्रज्ञप्त है? गौतम! दृष्टि-निवृत्ति तीन प्रकार की प्रज्ञप्त है, जैसे-सम्यक्-दृष्टि-निवृत्ति, मिथ्या-दृष्टि-निर्वृत्ति, सम्यक्-मिथ्या-दृष्टि-निवृत्ति। इस प्रकार यावत् वैमानिकों की वक्तव्यता, जिसमें जितनी दृष्टि प्राप्त हैं। ९७. भंते! ज्ञान-निर्वृत्ति कितने प्रकार की प्रज्ञप्त है? गौतम! ज्ञान-निवृत्ति पांच प्रकार की प्रज्ञप्त है, जैसे-आभिनिबोधिक-ज्ञान-निवृत्ति यावत् केवल-ज्ञान-निर्वृत्ति। इस प्रकार एकेन्द्रिय को छोड़कर यावत् वैमानिकों की वक्तव्यता, जिसमें जितने ज्ञान प्राप्त हैं। ९८. भंते! अज्ञान-निवृत्ति कितने प्रकार की प्रज्ञप्त है? गौतम! अज्ञान-निवृत्ति तीन प्रकार की प्रज्ञप्त है, जैसे–मति-अज्ञान-निवृत्ति, श्रुत-अज्ञान-निर्वृत्ति, विभंग-ज्ञान-निवृत्ति। इस प्रकार जिसमें जितने अज्ञान प्राप्त हैं यावत् वैमानिकों
की वक्तव्यता। ९९. भंते! योग-निवृत्ति कितने प्रकार की प्रज्ञप्त है? गौतम! योग-निवृत्ति तीन प्रकार की प्रज्ञप्त है, जैसे-मनो-योग-निर्वृत्ति, वचन-योग-निर्वृत्ति, काय-योग-निर्वृत्ति। इस प्रकार यावत् वैमानिकों की वक्तव्यता, जिसमें जितने प्रकार के योग प्राप्त हैं। १००. भंते! उपयोग-निवृत्ति कितने प्रकार की प्रज्ञप्त है?
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