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पहला शतक (पृ. १-६३)
पहला उद्देश
मंगल - पद
संग्रहणी गाथा
उत्क्षेप-पद
चलमान-पद
नैरयिकों की स्थिति आदि का पद
संग्रहणी गाथा
संग्रहणी गाथा
संग्रहणी गाथा
संग्रहणी गाथा
आरम्भ- अनारम्भ-पद
ज्ञान आदि का भवान्तर-संक्रमण-पद
असंवृत-संवृत-अनगार - पद
असंयत का वानमन्तरदेव-पद
दूसरा उद्देशक
कर्म-वेदन- पद
नैरयिक आदि जीवों का समान आहार,
समान शरीर आदि पद
मनुष्यों आदि का समान आहार,
समान शरीर आदि पद
संग्रहणी गाथा
लेश्या पद
जीवों का भव-परिवर्तन पद
अन्तक्रिया-पद
असंज्ञी - आयु-पद
तीसरा उद्देशक कांक्षामोहनीय-पद
अनुक्रम
१
१
१
१
२
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३
३
४
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५
६
६
७
८
८
९
१२
१५
१५
१५
१६
१६
៩
१७
संग्रहणी गाथा
श्रद्धा-पद
अस्ति नास्ति-पद
भगवान् की समता का पद
कांक्षामोहनीय का बंध आदि-पद
चौथा उद्देश
कर्म-पद
संग्रहणी गाथा
उपस्थापन-अपक्रमण पद
कर्ममोक्ष-पद
पुद्गल और जीव की त्रैकालिकता का पद
मोक्ष-पद
पांचवां उद्देशक
पृथ्वी-पद
आवास-पद
संग्रहणी गाथा
संग्रहणी गाथा
नैरयिकों का नानादशाओं में क्रोधोपयुक्त
-आदि-भंग-पद
संग्रहणी गाथा
असुरकुमार आदि का नाना दशाओं में
क्रोधापयुक्त आदि भंग - पद
छठा उद्देशक
सूर्य-पद
स्पर्शना-पद
क्रिया-पद
रोह के प्रश्न-पद
संग्रहणी गाथा
१८
१८
१८
१९
२०
२३
२३
२३
२३
I Z Z W N N N N N
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