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भगवती सूत्र
श. ११ : उ. १० : सू. ९०-९८
दसवां उद्देशक
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दक्षत्र-लाका
क्षेत्रलोक-पद ९०. राजगृह नगर यावत् गौतम ने इस प्रकार कहा-भंते! लोक कितने प्रकार का प्रज्ञप्त है? गौतम! लोक चार प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसे-द्रव्य-लोक, क्षेत्र-लोक, काल-लोक, भाव-लोक। ९१. भंते! क्षेत्र-लोक कितने प्रकार का प्रज्ञप्त है? गौतम! तीन प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसे-अधो-लोक क्षेत्र-लोक, तिर्यक्-लोक क्षेत्र-लोक, ऊर्ध्व-लोक क्षेत्र-लोक। ९२. भंते! अधो-लोक क्षेत्र-लोक कितने प्रकार का प्रज्ञप्त है?
गौतम! सात प्रकर का प्रज्ञप्त है, जैसे-रत्नप्रभा-पृथ्वी-अधो-लोक क्षेत्र-लोक यावत् अधःसप्तमा-पृथ्वी-अधो-लोक क्षेत्र-लोक। ९३. भंते! तिर्यक्-लोक क्षेत्र-लोक कितने प्रकार का प्रज्ञप्त है?
गौतम! असंख्येय प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसे-जम्बूद्वीप द्वीप तिर्यक्-लोक-क्षेत्र-लोक यावत् स्वयंभूरमणसमुद्र-तिर्यक्-लोक क्षेत्र-लोक। ९४. भंते! ऊर्ध्व-लोक-क्षेत्र-लोक कितने प्रकार का प्रज्ञप्त है? गौतम! पंद्रह प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसे-सौधर्मकल्प-ऊर्ध्व-लोक-क्षेत्र-लोक, ईशान, सनत्कुमार, माहेन्द्र, ब्रह्मलोक, लान्तक, महाशुक्र, सहस्रार, आनत, प्राणत, आरण और अच्युतकल्प-ऊर्ध्व-लोक-क्षेत्र-लोक, ग्रैवेयक-विमान-ऊर्ध्व-लोक-क्षेत्र-लोक, अनुत्तर-विमान-ऊर्ध्व-लोक-क्षेत्र-लोक, ईषत्-प्राग्भार-पृथ्वी-ऊर्ध्व-लोक-क्षेत्र-लोक। ९५. भंते ! अधो-लोक-क्षेत्र-लोक किस संस्थान वाला प्रज्ञप्त है?
गौतम! डोंगी (छोटी नौका) के संस्थान वाला प्रज्ञप्त है। ९६. भंते! तिर्यक्-लोक-क्षेत्र-लोक किस संस्थान वाला प्रज्ञप्त है ?
गौतम! झल्लरी-संस्थान वाला प्रज्ञप्त है। ९७. भंते! ऊर्ध्व-लोक-क्षेत्र-लोक किस संस्थान वाला प्रज्ञप्त है ?
गौतम! ऊर्ध्वमृदंगाकार-संस्थान वाला प्रज्ञप्त है। लोक-संस्थान-पद ९८. भंते! लोक किस संस्थान वाला प्रज्ञप्त है? गौतम! सुप्रतिष्ठिक-संस्थान वाला प्रज्ञप्त है, जैसे-निम्नभाग में विस्तीर्ण, मध्य में संक्षिप्त और ऊपर विशाल है। वह निम्नभाग में पर्यंक के आकार वाला, मध्य में श्रेष्ठ वज्र के आकार वाला और ऊपर ऊर्ध्वमुख मृदंग के आकार वाला है। उस शाश्वत निम्न भाग में विस्तीर्ण यावत् ऊपर ऊर्ध्वमुख मृदंग के आकार वाले लोक में
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