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श. ८ : उ. ६ : सू. २५५-२६५
भगवती सूत्र गौतम! इस अपेक्षा से यह कहा जा रहा है जो आराधना के लिए कृतसंकल्प है, वह
आराधक है, विराधक नहीं। ज्योति-ज्वलन-पद २५६. भन्ते! प्रदीप जलता है उस समय क्या प्रदीप जलता है? दीपयष्टि जलती है? बाती जलती है? तेल जलता है? ढक्कन जलता है? ज्योति जलती है? गौतम! न प्रदीप जलता है, न दीपयष्टि जलती है, न बाती जलती है, न तेल जलता है, न ढक्कन जलता है, ज्योति जलती है। २५७. भन्ते! घर जलता है उस समय क्या घर जलता है? भींत जलती है? टाटी जलती है? खंभा जलता है? खंभे के ऊपर का काठ जलता है? बांस जलता है? भीत को टिकाने वाला खंभा जलता है? बलका जलती है? बांस की खपाचियां जलती हैं? दर्भपटल जलता है? ज्योति जलती है? गौतम! न घर जलता है, न भींत जलती है यावत् न दर्भपटल जलता है,ज्योति जलती है। क्रिया-पद २५८. भन्ते! जीव औदारिक-शरीर से कितनी क्रिया वाला है? गौतम! स्यात् तीन क्रिया वाला, स्यात् चार क्रिया वाला, स्यात् पांच क्रिया वाला, स्यात्
अक्रिय-क्रिया रहित है। २५९. भन्ते! नैरयिक औदारिक-शरीर से कितनी क्रिया वाला है?
गौतम! स्यात् तीन क्रिया वाला, स्यात् चार क्रिया वाला, स्यात् पांच क्रिया वाला। २६०. भन्ते! असुरकुमार औदारिक-शरीर से कितनी क्रिया वाला है ?
नैरयिक की भांति वक्तव्यता, इसी प्रकार यावत् वैमानिक की वक्तव्यता, इतना विशेष है-मनुष्य जीव की भांति वक्तव्य है। २६१. भन्ते! जीव औदारिक-शरीरों से कितनी क्रिया वाला है?
गौतम! स्यात् तीन क्रिया वाला यावत् स्यात् अक्रिय। २६२. भन्ते! नैरयिक औदारिक-शरीरों से कितनी क्रिया वाला है? यह प्रथम दण्डक (नैरयिक सू. २५८) की भांति वक्तव्य है। यावत् वैमानिक, इतना विशेष है-मनुष्य जीव की भांति वक्तव्य है। २६३. भन्ते! जीव औदारिक-शरीर से कितनी क्रिया वाले हैं?
गौतम! स्यात् तीन क्रिया वाले यावत् अक्रिय हैं। २६४. भन्ते! नैरयिक औदारिक-शरीर से कितनी क्रिया वाले हैं? यह भी प्रथम दण्डक की भांति वक्तव्य है यावत् वैमानिक, इतना विशेष है मनुष्य जीव की भांति वक्तव्य हैं। २६५. भन्ते! जीव औदारिक-शरीरों से कितनी क्रिया वाले हैं?
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