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श. ८ : उ. २ : सू. १०८-११७
भगवती सूत्र होते हैं, जैसे-आभिनिबोधिक-ज्ञान और श्रुत-ज्ञान वाले। जो अज्ञानी होते हैं वे नियमतः दो अज्ञान वाले होते हैं, जैसे–मति-अज्ञान और श्रुत-अज्ञान वाले। इसी प्रकार त्रीन्द्रिय और
चतुरिन्द्रिय की वक्तव्यता। १०९. पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक की पृच्छा। गौतम! ज्ञानी भी होते हैं, अज्ञानी भी होते हैं। जो ज्ञानी होते हैं उनमें कुछ दो ज्ञान वाले और कुछ तीन ज्ञान वाले होते हैं। जो अज्ञानी होते हैं उनमें कुछ दो अज्ञान वाले और कुछ तीन अज्ञान वाले होते हैं। इस प्रकार तीन ज्ञान और तीन अज्ञान की भजना है। मनुष्य जीव की भांति वक्तव्य हैं। जीव की भांति उनमें पांच ज्ञान और तीन अज्ञान की भजना है। वानमन्तर नैरयिक की भांति वक्तव्य है। ज्योतिष्क- और वैमानिक-देवों में नियमतः तीन ज्ञान और तीन अज्ञान होते हैं-न्यून और अधिक नहीं होते। ११०. भन्ते! सिद्धों की पृच्छा।
गौतम! ज्ञानी हैं, अज्ञानी नही हैं। नियमतः एक ज्ञानी-केवल-ज्ञानी हैं। अन्तराल-गति की अपेक्षा १११. भन्ते! नरक की अन्तराल-गति में विद्यमान जीव क्या ज्ञानी हैं? अज्ञानी हैं?
गौतम! ज्ञानी भी हैं, अज्ञानी भी हैं। तीन ज्ञान नियमतः होते हैं, तीन अज्ञान की भजना है। ११२. भन्ते! तिर्यंच की अन्तराल-गति में विद्यमान जीव क्या ज्ञानी हैं? अज्ञानी हैं?
गौतम! नियमतः दो ज्ञान अथवा दो अज्ञान होते हैं। ११३. मनुष्य की अंतराल-गति में विद्यमान जीव क्या ज्ञानी हैं? अज्ञानी हैं?
गौतम! तीन ज्ञान की भजना है, दो अज्ञान नियमतः होते हैं। देव की अंतराल-गति में विद्यमान जीवों की नरक की अंतराल-गति में विद्यमान जीवों की भांति वक्तव्यता । ११४. भन्ते! सिद्ध की अंतराल-गति में विद्यमान जीव क्या ज्ञानी हैं?
सिद्धों (सूत्र ८/११०) की भांति वक्तव्यता। इन्द्रिय की अपेक्षा ११५. भन्ते! स-इन्द्रिय-जीव क्या ज्ञानी हैं? अज्ञानी हैं?
गौतम! चार ज्ञान और तीन अज्ञान की भजना है। ११६. भन्ते! एकेन्द्रिय-जीव क्या ज्ञानी हैं? अज्ञानी हैं?
पृथ्वीकायिक-जीवों की भांति वक्तव्यता। द्वीन्द्रिय-, त्रीन्द्रिय- और चतुरिन्द्रिय-जीवों के नियमतः दो ज्ञान और दो अज्ञान होते हैं। पंचेन्द्रिय-जीव स-इन्द्रिय जीवों की भांति वक्तव्य
११७. भन्ते! अनिन्द्रिय-जीव क्या ज्ञानी हैं? अज्ञानी हैं? सिद्धों की भांति वक्तव्यता।
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