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श. ५ : उ. ७ : सू. १५९-१६४
भगवती सूत्र भन्ते! क्या वह अनन्तप्रदेशिक स्कन्ध पुष्कर-संवर्तक महामेघ के बीचोबीच से जा सकता
हां, वह जा सकता है। भन्ते! क्या वह वहां पर आर्द्र होता है? गौतम! कुछ एक स्कन्ध आर्द्र होते हैं, कुछ एक स्कन्ध आर्द्र नहीं होते। भन्ते। क्या वह गंगा महानदी के प्रतिसोत में शीघ्र ही आ सकता है? हां, वह शीघ्र ही आ सकता है। भन्ते! क्या वह वहां विनिघात को प्राप्त होता है? गौतम! कुछ एक स्कन्ध विनिघात को प्राप्त होते हैं, कुछ एक स्कन्ध विनिघात को प्राप्त नहीं होते। भन्ते! वह जल के आवर्त या जल की बूंद पर अवगाहन कर सकता है? हां, वह अवगाहन कर सकता है। भन्ते! क्या वह वहां विनष्ट होता है? गौतम! कुछ एक स्कन्ध विनष्ट होते हैं, कुछ एक स्कन्ध विनष्ट नहीं होते। परमाणु-स्कन्धों का सार्द्ध समध्यादि-पद १६०. भन्ते! परमाणु-पुद्गल क्या स-अर्ध, स-मध्य और स-प्रदेश है? अथवा अनर्ध, अमध्य और अ-प्रदेश है? गौतम! परमाणु-पुद्गल अनर्ध, अ-मध्य और अ-प्रदेश है, स-अर्ध, स-मध्य और स-प्रदेश नहीं है। १६१. भन्ते। द्वि-प्रदेशी स्कन्ध क्या स-अर्ध, स-मध्य और स-प्रदेश है? अथवा अनर्ध, अमध्य और अ-प्रदेश है? गौतम! द्वि-प्रदेशी स्कन्ध स-अर्ध, अ-मध्य और स-प्रदेश है, अनर्ध, स-मध्य और अप्रदेश नहीं है। १६२. भन्ते। त्रि-प्रदेशी स्कन्ध क्या स-अर्ध, स-मध्य और स-प्रदेश है? अथवा अनर्ध, अमध्य और अ-प्रदेश है? गौतम! त्रि-प्रदेशी स्कन्ध अनर्ध, स-मध्य और स-प्रदेश है, स-अर्ध, अ-मध्य और अप्रदेश नहीं है। १६३. समसंख्या वाले (चतुः-प्रदेशी, षट्-प्रदेशी आदि) स्कन्ध द्वि-प्रदेशी स्कन्ध की भांति वक्तव्य हैं। विषम संख्या वाले स्कन्ध (पञ्च-प्रदेशी, सप्त-प्रदेशी आदि) त्रि-प्रदेशी स्कन्ध
की भांति वक्तव्य हैं। १६४. भन्ते! संख्येय-प्रदेशी स्कन्ध क्या स-अर्ध, स-मध्य और स-प्रदेश है। अथवा अनर्ध,
अ-मध्य और अ-प्रदेश है?
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