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दोहा १-२. इस प्रकार आठ दिनों तक महामहिमा महोत्सव संपन्न हुआ। अब चक्ररत्न आयुधशाला से बाहर निकल एक हजार यक्ष देवताओं से घिरा हुआ आकाश में सूर्य की तरह सुशोभित हो रहा है।
३. विशिष्ट वाद्ययंत्रों की प्रतिध्वनि पूरे आकाश में परिव्याप्त हो रही है। उससे आकाश भी सुशोभित हो रहा है।
४. नगरी के बीचों बीच होकर वह आकाश में चल रहा है। सभी नर-नारी उसे देख कर उल्लसित हो रहे हैं।
५. गंगा नदी के दायें तट पर मागध तीर्थ है। सबसे पहले चक्र उस तीर्थ की दिशा में चलने लगा।
६. उसे पूर्व दिशा की ओर जाते देख भरत नरेन्द्र का हृदय अत्यंत उल्लसित होने लगा। वह बडा आनंदित हुआ।
७. वह चक्ररत्न अत्यंत रमणीय है। उसका रूप अद्वितीय है। मैं संक्षेप में प्रकट कर रहा हूं। उसे रुचिपूर्वक कान खोलकर सुनें।
ढाळ : ८
वह चक्ररत्न अत्यंत रमणीय है। १. चक्ररत्न चक्र जैसा गोल है। उसके केंद्र में वज्ररत्न है। उसके अरों में लोहिताक्ष रत्न लगे हुए हैं। वह आकाश में सुशोभित हो रहा है।