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भरत चरित
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८. श्री आदीश्वर के मुक्ति जाने के पांच लाख पूर्व बाद भरत नरेंद्र ने आदर्श भवन में केवलज्ञान प्राप्त किया।
९. भरत ने एक लाख पूर्व वर्षों तक जैनधर्म का उद्योत किया। ये भी अनेक जीवों को तैरा कर कर्मों का नाश कर मुक्ति में गए।
१०. श्री आदीश्वर की परंपरा में उनके असंख्य उत्तराधिकारी मोक्ष में गए। कर्मों की जड़ को काटकर शाश्वत सुखों में विराजमान हुए।
११. मैंने भरत चरित्र की रचना जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति के आधार पर तथा कथा के अनुसार की है। प्रमाण वही है जिसे केवलज्ञानी जानते हैं।
१२. भव्य-जीवों को समझाने के लिए मैंने यह रचना माधोपुर में संवत् १८४८ की आसोज बदी २, गुरुवार को की है।
१३. जहां मैंने यह रचना की वह माधोपुर ढूंढाड़ देश (क्षेत्र) में रणतभंवर किले की तलहटी में बसा हुआ है। वह नया शहर कहलाता है।