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भरत चरित
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१३. तुम तत्काल जाकर यह कार्य पूरा कर मेरी आज्ञा मुझे प्रत्यर्पित करो।
१४. भरतजी की यह बात सुनकर उसे स्वीकार कर सेवक हर्षित-संतुष्ट होकर वहां से निकला।
१५. विनीता नगरी में आकर सारे कार्य पूर्ण कर-करवाकर भरतजी को उनकी आज्ञा प्रत्यर्पित की।
१६. सेवक की बात सुनकर भरतजी मन में हर्षित हुए और वहां से उठकर अपने स्नानागार में आए।
१७. ये सारे कार्य सावध हैं यह जानकर भी भरतजी इन्हें करते-करवाते हैं। पर अंत में इन्हें त्यागकर मुक्ति में जाएंगे।