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भरत चरित
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२४. सेवक हाथी के कंधे पर बैठ कर चला और विनीता में आकर भरतजी ने जो कहा वह सारा कार्य करके उनकी आज्ञा को प्रत्यार्पित किया।
२५. भरतजी ने राज्यारोहण का मंगलाचार किया, पर राज छोड़कर संयम लेकर मोक्ष में जाकर अपना कार्य सिद्ध करेंगे।