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दोहा १. इस प्रकार कुछ समय व्यतीत होने पर एक बार राज-धुरा का चिंतन करते हुए उनके मन में अध्यवसाय पैदा होता है।
२. मैंने अपने बल-पराक्रम से सारे भरतक्षेत्र पर विजय प्राप्त की है। चुल्ल हेमवंत और लवण समुद्र के बीच अपनी आज्ञा प्रवर्तायी है।
३. मैंने संपूर्ण भरतक्षेत्र को जीतकर अपनी आज्ञा स्वीकार करवाई है। इसलिए मेरे लिए यही श्रेयस्कर एवं कल्याण कर है कि ठाठ-बाट से राज्याभिषेक करवाऊं।
४. रात में ऐसा चिंतन कर सूर्योदय के बाद प्रभात हुआ तब स्नानगृह में गए और पूर्वोक्त रूप से स्नान किया।
५. स्नानगृह से निकल कर उपस्थान शाला में आए और सिंहासन पर बैठे।
ढाळ : ५७
१. तत्काल सोलह हजार देवताओं को बुलाया। सारे आज्ञाकारी देवता तत्काल उपस्थित हो गए।
२. फिर बत्तीस हजार राजाओं को आमंत्रित किया। वे भी विनीत भाव से तत्काल उपस्थित हो गए।
३. सेनापति, गाथापति, बढ़ई तथा पुरोहित, इन चारों को भी बुलाया। भरतेश्वर उनके स्वामी हैं।