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भरत चरित
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२०,२१. उसके बाद मुंह के सामने लोकप्रसिद्ध मनोहर सात एकेंद्रियरत्न १ चक्ररत्न, २ छत्ररत्न, ३ चर्मरत्न, ४ दंडरत्न, ५ असिरत्न, ६ मणिरत्न, ७ कांकिणीरत्न अनुक्रम से व्यवस्थित रूप से चल रहे हैं।
२२. उसके बाद नौ निधान तथा सौलह हजार देवता विनीता नगरी की ओर अनुक्रम से चल रहे हैं।
२३. उनके पीछे बत्तीस हजार राजा तथा सात पंचेंद्रिय रत्न चल रहे हैं।
२४. भरतजी ने छह खंडों का राज्य जीत लिया, यह तो संसार का शौर्य है। आगे आत्मा रूपी शत्रु को जीतकर कर्मों को चकचूर करेंगे।