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दोहा १. विनीता राजधानी में उत्पन्न भरत विनीता पर राज करने लगे। चक्रवर्ती भरत इतने शक्तिशाली हैं कि सारे वैरी-दुश्मन दूर भाग गए।।
२. वे उत्तुंग हेमवंत ही नहीं बल्कि मेरु पर्वत के समान हैं। वे अनेक गुण-रत्नों की खान हैं। लोक भर में उनकी यश-कीर्ति फैली हुई है।
३. उनके शरीर के शुभ लक्षण और व्यंजनों का पूरा वर्णन असंभव है। मैं उनमें से थोड़ों का वर्णन करता हूं। उन्हें सभी ध्यान से सुनें।
ढाळ : २
१. भरत महान् राजा हैं। उनके पुण्य अतुल हैं । वे पहले चक्रवर्ती हैं। चारों ओर उनकी यश-कीर्ति फैल रही है।
२. वे प्रत्यक्ष उत्तम पुरुष हैं। वे लोक में विख्यात हैं। वे शौर्य से अत्यंत साहसी हैं। राज-मर्यादा का सम्यग् अनुपालन करते हैं।
३. उनका बल पराक्रम परिपूर्ण है। वे अद्वितीय शौर्यशाली हैं। उनके बल का बहुत विस्तार से वर्णन किया गया है। उसे सुनें।
४. युवा, तरुण-पुरुष उत्कृष्ट बलवान् होता है। उस जैसे बारह बलवान् पुरुषों में जितना बल होता है उतना बल एक वृषभ में होता है।
५. बारह वृषभों में जितना बल होता है उतना बल एक घोड़े में होता है। बारह घोड़ों में जितना बल होता है उतना बल एक भैंसे में होता है।