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भरत चरित
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लिया और उसका विस्तार किया।
२५. चर्मरत्न बारह योजन से भी अधिक सेना के नीचे पसर गया। फिर भरतजी ने ऊपर छाने के लिए छत्ररत्न हाथ में लिया।
२६. इस प्रकार के चर्मरत्न और छत्ररत्न की देवता रक्षा करते हैं। पर भरतजी वैराग्य आने पर इनको भी त्यागकर इसी भव में मोक्ष जाएंगे।