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भरत चरित
२१९ २१. तब आपात चिलाती राजा सेना की अग्रिम पंक्ति को देखकर तत्क्षण कुपित हो गए। आंतरिक द्वेष जाग उठा।
२२. वे एकत्र होकर आपस में कहने लगे- ये अप्रशस्त की प्रार्थना करने तथा अशुभ लक्षण वाले कौन हैं? ।
२३,२४. ये निर्लज्ज, भिखारी हमारा देश हड़पने के लिए यहां आ रहे हैं। इसलिए हम सब इन्हें न आने दें, भीषण संग्राम करके दशों दिशाओं में भगा दें।
२५. पर भरतजी भगाने से नहीं भागेंगे। इनके प्रबल पुण्य का संचय है। ये इसी भव में कर्मों का नाश कर मोक्ष में जाएंगे।