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भरत चरित
१९१ २५. रूप में अप्सरा समान तरुणी स्त्रियों के साथ कामभोग भोगने लगा।
२६. ऐसे सेनापतिरत्न की देवता भी सुरक्षा करते हैं। फिर भी वह भरत नरेन्द्र का सेवक सेनापति है।
२७. उसे भी भरतजी धूल के समान निःसार जानते हैं । इसे भी छोड़कर मुक्ति में जाएंगे।