________________
भरत चरित
१८९ १४. सब राजाओं को जीतकर विजयी बनकर अपना कार्य सिद्ध कर लौटने लगा।
१५. साहसी और धैर्यवान् सेनापति सिंधु नदी के किनारे लौटा और सारी सेना के साथ सिंधु नदी के पार उतरा।
१६. सुख-शांतिपूर्वक भरत राजा के पास आया और जो उपहार लाया था उन्हें समर्पित कर दिया।
१७. विनयपूर्वक हाथ जोड़कर सब जगह सत्ता स्थापित की वह सारी बात विस्तार से बताई।
१८. यह सुनकर भरत राजा मन में हर्षित एवं आनंदित हुए।
१९. भरतजी ने सेनापति को अति सम्मान देकर उसे प्रसन्न कर दिया।
२०. अब अपने स्थान पर आकर सेनापति स्नानघर में जाकर स्नान कर बाहर आया।
२१. फिर भोजन-मंडप में आकर भोजन कर चुलु कर स्वच्छ-निर्मल हुआ।
२२. वस्त्र, गहने और आभूषणों का शृंगार किया। बावने चंदन का लेप किया।
___२३,२४. अपने रत्नजटित आवास में बैठकर सुख-विलास का भोग करने लगा। ढोल बजने लगे। गीत वाद्ययंत्र के साथ बत्तीस प्रकार के नाटकों की धुंकार उठने लगी।