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भिक्षु वाङ्मय-खण्ड-१०
मरुदेवा, बाहुबली आदि ९९ भाई, ब्राह्मी-सुंदरी बहनों तथा श्रीदेवी आदि ६४ हजार रानियों के अन्तःपुर का भी विशद वर्णन है।
इसी प्रकार छह खंड पर विजय यात्रा के साथ सैन्य बल एवं बाहुबल के साथ युद्ध का रोमांचक वर्णन।
चौदह रत्न तथा नौ निधान का लोमहर्षक वर्णन।
१६ हजार देवता ६४ हजार राजे-महाराजे तथा विराट सैन्य परिवार के साथ विनीता में पुनरागमन।
राज्य संचालन करते हुए भी विरक्ति के उपाय।
भगवान् ऋषभ द्वारा भरत की अनासक्ति की घोषणा, नागरिकों का उस पर संदेह तथा भरत द्वारा समुचित समाधान ।
चक्रवर्ती के रूप में भव्य-राज्याभिषेक। आदर्श भवन में अनित्य भावना भाते हुए केवलज्ञान ।
राजाओं को धर्मोपदेश तथा धर्मप्रचार करते हुए मोक्ष का भी विशद वर्णन । आदि-आदि।
भिक्षु चरित्र की कुल ७४ ढालें व दोहे हैं। वे सब वैराग्य भाव से परिपूर्ण हैं।