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दोहा
१. इस प्रकार चक्र और सेना वरदाम तीर्थ के सामने चलते-चलते उसके न अति दूर, न अति समीप पहुंच गई।
२. बढ़ईरत्न को बुलाकर भरत महाराज ने कहा- तत्काल यहां आवास की व्यवस्था करो, मेरे लिए पौषधशाला बनाओ।
३. यह काम पूरा कर मेरी आज्ञा प्रत्यर्पित करो। बढ़ईरत्न कैसा है इस बात को ध्यान लगाकर सुनें।
ढाळ : २३
१. वह ग्राम, नगर तथा सन्निवेश को बसाने, विशेषकर सैन्य शिविर, छावनी के प्रवास की विधि का जानकार है।
२. घर, दुकान, श्रेणि के विभाग का अच्छी तरह से जानने वाला है। उनके इक्कासी पद रूप व गुण-अवगुण का जानकार है।
३. पैंतालीस प्रकार के देवों की निवेश भूमि का विशेषज्ञ है। निवेश का अर्थ घर है वह उसकी सारी विधि को जानता है।
४. राजमहल, प्रासाद, आवास, गढ़-कोट, पाकशाला आदि सभी का जानकार
___५. काठ आदि के गुणों को पहचानने वाला, उसे छेदने-भेदने के गुण-अवगुण का ज्ञाता, जल के बीच मकान बनाने तथा उनके गुण-अवगुण के लक्षणों को जानने वाला है।