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जाता हूँ। 14. सः दरिद्रः अस्ति, अतः द्रव्यं न ददाति-वह निर्धन है, इसलिए पैसा नहीं देता
उकारान्त शब्दों के रूप बनाने का प्रकार पिछले पाठक में आ चुका है। अब ऋकारान्त शब्दों के रूप इस पाठ में बनाएँगे।
ऋकारान्त पुल्लिंग 'धातृ' शब्द
ब्रह्मा
1. प्रथमा
धाता 2. द्वितीया धातारम्
ब्रह्मा को 3. तृतीया धात्रा
ब्रह्मा ने (द्वारा) 4. चतुर्थी धात्रे
ब्रह्मा के लिए 5. पञ्चमी धातुः
ब्रह्मा से 6. षष्ठी धातुः
ब्रह्मा का 7. सप्तमी धातरि
ब्रह्मा में, पर सम्बोधन हे धातः !
हे ब्रह्मा ऋकारान्त पुल्लिंग शब्द धातृ-ब्रह्मा, विश्वकर्ता, उत्पन्नकर्ता। कर्तृ-बनानेवाला।
नेतृ-ले जानेवाला। शास्तृ-शासन करनेवाला। उद्गातृ-गानेवाला। गातृ-गानेवाला।
नप्तृ-पोता। गन्तु-जानेवाला।
दातृ-देनेवाला। वक्तृ-बोलनेवाला।
द्रष्ट-देखनेवाला। श्रोतृ-सुननेवाला।
भोक्तृ-खानेवाला। स्रष्ट-उत्पन्न करनेवाला। पातृ-रक्षा करनेवाला। द्वेष्ट-द्वेष करनेवाला। ध्यातृ-ध्यान करनेवाला।
वाक्य
1. धाता सकलं विश्वं रचयति-ब्रह्मा सब विश्व को रचता है। 2. दातुः इच्छा कीदृशी अस्ति-दाता की इच्छा कैसी है ? 3. भोक्त्रे मोदकं देहि-खानेवाले को लड्डू दे। 4. नप्ता भोजनं न कृतम्-पोते ने भोजन नहीं किया। 5. मम द्वेष्टारं पश्य-मेरे द्वेष करनेवाले को देख।