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एव अनुगच्छति। भो मित्र ! पश्य ।
इस वाक्य में 'सुविद्याभूषितः' ' पतिव्रतया' आदि विशेषण हैं। राम, सीता, लक्ष्मण, वन, आदि नाम हैं। गच्छति, पश्य आदि क्रियापद हैं। 'सह च भोः' आदि अव्यय हैं। इसी प्रकार आप प्रत्येक वाक्य में देखिए तथा किस शब्द से कौन-सा प्रयोजन सिद्ध होता है, इसका भी निश्चय कीजिए।
अब क्रिया के रूप दिये जा रहे हैं, जिनको आप कण्ठस्थ कर लीजिए।
परस्मैपद* भू-सत्तायाम्। [गण* पहला भू [धातु] अर्थ = होना, अस्तित्व रखना 'भू' धातु के वर्तमान काल का रूप
वर्तमान काल
।
द्विवचन भवतः
बहुवचन भवन्ति
पुरुष प्रथम पुरुष मध्यम पुरुष उत्तम पुरुष
एकवचन भवति भवसि भवामि
भवथः
भवथ
भवावः
भवामः
'वह, तू, और मैं' इन तीनों को क्रमशः 'प्रथम, मध्यम और उत्तम पुरुष' कहते हैं। मैं और हम-उत्तम पुरुष। तू और तुम-मध्यम पुरुष। वह और वे-प्रथम पुरुष।
एकवचन से एक का, द्विवचन से दो का और बहुवचन से तीन अथवा तीन से अधिक का बोध होता है। अब निम्न रूप स्मरण कीजिए
व=(व्यक्तायां वाचि)। वद्=बोलना, स्पष्ट बोलना। पुरुषः
एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथम पुरुषः वदति
वदतः
वदन्ति मध्यम पुरुषः वदसि
वदथः
वदथ उत्तम पुरुषः वदामि
वदावः
वदामः
8|* परस्मैपद और गण आदि के विषय में आगे स्पष्टीकरण किया जाएगा।