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'जरा' शब्द 'विद्या' के समान चलता है; परन्तु जहां उसके स्थान में 'जरस्' आदेश होता है, वहां सकारान्त शब्द के समान उसके रूप बनते हैं।
___ 'अजर, निर्जर' शब्द पुल्लिंग होने से 'देव' शब्द के समान चलते हैं परन्तु उक्त विभक्तियों के वचनों में उनको भी ‘अजरस्, निर्जरस्' ऐसे आदेश होते हैं अर्थात् इनके भी 'जरा' शब्द के समान दो-दो रूप बनते हैं।
पाठ 31
अब हम बताएंगे कि स्त्रीलिंग सर्वनामों के रूप किस प्रकार बनते हैं।
आकारान्त स्त्रीलिंग ‘सर्वा' शब्द __ 1. सर्वा
सर्वे
सर्वाः सम्बोधन (हे) सर्वे सर्वाम् सर्वे
सर्वाः सर्वया सर्वाभ्याम्
सर्वाभिः सर्वस्यै
सर्वाभ्यः सर्वस्याः सर्वयोः
सर्वासाम् सर्वस्याम्
सर्वासु इसी प्रकार 'पूर्वा, परा, दक्षिणा, उत्तरा, अपरा, अधरा, नेमा' इत्यादि सर्वनामों के रूप बनते हैं।
'प्रथमा, चरमा, द्वितया, त्रितया, अल्पा, अर्धा, कतिपया' इत्यादि सर्वनाम स्त्रीलिंग होते हुए भी 'विद्या' के समान चलते हैं। इनके पुल्लिंग रूप 'देव' के समान चलते हैं। द्वितीया, तृतीया के रूप दो-दो प्रकार के होते हैं। जैसे
आकारान्त स्त्रीलिंग 'द्वितीया' शब्द द्वितीया
द्वितीये
द्वितीयाः सम्बोधन (हे) द्वितीये
द्वितीयाम् द्वितीयया
द्वितीयाभ्याम् द्वितीयस्यै, द्वितीयायै
द्वितीयाभ्यः 133
द्वितीयाभिः 11331