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नियम 1- पदान्त के 'तू' के सामने 'श्' आने से 'च्' बनता है तथा शकार का विकल्प 'छ्' बनता है ।
नियम 2 - पदान्त के 'नू' के सामने 'शू' आने से 'ञ्' बनता है तथा शकार का विकल्प से 'छ' बनता है। उदाहरण
तत् + शस्त्रम्
तशस्त्रम्, तच्छस्त्रम्
तान् + शावकान् ताशावकानू, ताञ्छावकान्
नियम 3 - 'ञ और श्' के बीच में, तथा 'ञ् और छ' के बीच में विकल्प से 'च' लगाया जाता है । उदाहरण
तान् + शत्रून्
पीठ
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अभिषेकः स्नान । राज्याभिषेकः राजगद्दी पर बैठना । हारः = कण्ठा, माला | मुक्ताहारः = मोतियों का कण्ठा । आदेशः = आज्ञा । कलशः = लोटा । किरीटः : मुकुट, ताज। भ्रातृ = भाई । पोरः नागरिक । जनपदः = पर । चामरः = चँवर ।
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देश | मूर्धनि = शिर
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प्रभृति मुख्य, प्रारम्भ । भार्या (करोड़) संख्या, अवस्था ।
= आसन । रत्न =
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ताञ्छत्रून्, ताच्छत्रून् ।
शब्द - पुल्लिंग
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स्त्रीलिंग
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नपुंसकलिंग
ज़ेवर । विशेषण
स्त्री । मुक्ता
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शुभ पवित्र | दिव्य = स्वर्गीय, उत्तम । वर = श्रेष्ठ । रत्नमय = रत्नों से भरा हुआ। सत्यसन्ध = सत्य प्रतिज्ञा करनेवाला । विसृष्ट = भेजा हुआ। महार्ह बहुमूल्य । पूजित सत्कार किया हुआ । पूर्ण भरा हुआ । श्वे सफ़ेद । दीन = अनाथ। भूरि = बहु । यथार्ह
योग्यता के अनुकूल ।
क्रिया
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मोती । कोटि
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कोटि
प्रतिनिववृते = लौट आया ( वह ) । आनिन्युः, समानिन्युः = लाए (वे ) । दधतुः
(दोनों ने) धारण किया। अधिजग्मुः
(a) प्राप्त हुए । सन्निवेशयाञ्चकार
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