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भाव (१)
भाव का शाब्दिक अर्थ है-होना। इसका पारिभाषिक अर्थ है-मोह के उदय, उपशम, क्षय और क्षयोपशम से होने वाला जीव का स्पन्दन। इसलिए भाव को जीव का स्वरूप कहा गया है। किसी एक पर्याय के आधार पर हम जीव के स्वरूप को नहीं जान सकते, उसके विभिन्न पर्याय ही उसके अस्तित्व को प्रकट करते हैं।
भाव के छः प्रकार हैं-१. औदयिक २. औपशमिक ३. क्षायिक ४. क्षायोपशमिक ५. पारिणामिक ६. सान्निपातिक।
छनामे छव्विहे पण्णत्ते, तं जहा–१. उदइए २. उवसमिए ३. खइए ४. खओवसमिए ५. पारिणामिए ६. सन्निवाइए।
अणुओगदाराई ७.२७१
१६ मार्च २००६