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मन का उत्पाद
मन स्थायी तत्त्व नहीं है। प्रयोजनवश वह उत्पन्न होता रहता है। इस विषय में भगवती का एक सूत्र मननीय है-भंते! क्या पहले मन होता है? क्या मनन के समय मन होता है? क्या मनन का समय व्यतिक्रान्त होने पर मन होता है? ____गौतम ! पहले मन नहीं होता, मनन के समय मन होता है, मनन का समय व्यतिक्रांत होने पर मन नहीं होता।
पुर्वि भंते! मणे? मणिज्जमाणे मणे? मणसमयवीतिक्कंते मणे? ___ गोयमा! नो पुव्विं मणे, मणिज्जमाणे मणे, नो मणसमयवीतिक्कंते मणे।
भगवती १३.१२६
११ नवम्बर २००६
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43४१
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