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चित्त
चेतना के विकास का तीसरा स्तर है-चित्त। चित्त का अर्थ चेतना। वह चेतना जिससे द्रव्यमन भावमन बन जाता है-पौद्गलिक मन ज्ञानात्मक बन जाता है। ___ चित्त स्थूल शरीर के साथ काम करने वाली चेतना है। जैसे मन चंचल होता है वैसे ही चित्त भी चंचल होता है। जैसे मन को एकाग्र किया जा सकता है वैसे ही चित्त को भी एकाग्र किया जा सकता है। ___ मन सब प्राणियों के नहीं होता, चित्त सब प्राणियों के होता है।
चित्तं चेयणभावे चेव भण्णइ।
. दसवे. जिचू पृ. १३५ एगग्गचित्तो भविस्सामि ति अज्झाइयव्वं भवइ ।
दसवेआलियं ६.४.२ पुढवी चित्तमंतमक्खाया। ।
दसवेआलियं ४.४
१३ अक्टूबर
२००६