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कायोत्सर्ग (३) कायोत्सर्ग चार प्रकार का होता है१. उपविष्ट-उपविष्ट-जो बैठकर कायोत्सर्ग करता है और आर्त या रौद्र ध्यान में लीन होता है, वह काया और ध्यान दोनों से बैठा हुआ होता है, इसलिए उसके कायोत्सर्ग को 'उपविष्ट-उपविष्ट' कहा जाता है।
२. उपविष्ट-उत्थित-जो बैठकर कायोत्सर्ग करता है और धर्म्य या शुक्लध्यान में लीन होता है, वह काया से बैठा हुआ होता है और ध्यान से खड़ा होता है, इसलिए उसके कायोत्सर्ग को 'उपविष्ट-उत्थित' कहा जाता है।
आर्तरौद्रद्वयं यस्यामुपविष्टेन चिंत्यते। उपविष्टोपविष्टाख्या, कथ्यते सा तनूत्सृतिः।। धर्मशुक्लद्वयं यस्यामुपविष्टेन चिंत्यते। उपविष्टोत्थितां संतस्तां वदंति तनूत्सृतिम् ।।
श्रावकाचार ५८,५६
३ अक्टूबर २००६