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ध्यान के चार प्रकार (१) जैन आचार्यों ने ध्यान पर अनेकांत दृष्टि से विचार किया है। फलतः ध्यान की दो कोटियां बनती हैं
प्रथम कोटि के दो ध्यान हैं१. आर्तध्यान २. रौद्रध्यान द्वितीय कोटि के दो ध्यान हैं१. धर्म्यध्यान २. शुक्लध्यान
प्रथम दोनों ध्यान संसारभ्रमण के हेतु हैं और अंतिम दोनों निर्वाण के।
अट्ट रुदं धम्म सुक्कं झाणाइ तत्थ अंताई। निव्वाणसाहणाई भवकारणमट्टरुद्दाई।
झाणज्झयणं ५
१६ अगस्त २००६
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