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लम ककरालालाला
ध्यानसिद्धि
धर्म्यध्यान की सिद्धि के लिए चार भावना का अभ्यास आवश्यक है
१. मैत्री-सब जीवों के साथ मैत्री।
२. प्रमोद-गुण पक्षपात, गुणीजनों के प्रति उल्लास की भावना।
३. कारुण्य-प्राणियों के क्लेश के प्रति होने वाली अनुकंपा।
४. माध्यस्थ्य-विपरीत वृत्तिवाले के प्रति उपेक्षा का भाव।
चतस्रो भावना धन्याः पुराणपुरुषाश्रिताः। मैत्र्यादयश्चिरं चित्ते ध्येया धर्मस्य सिद्धये।।
ज्ञानार्णव २७.४
२६ जुलाई २००६
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