SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 223
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कलकल कालमा कलाकार कलकल कलकल कलमक ध्यान की मुद्रा ध्याता के लिए ध्यान-मुद्रा का निर्देश किया गया है-ध्यान करने के लिए उद्यत व्यक्ति इस मुद्रा का अनुसरण करें १. सुखासन में बैठे, २. दोनों होठ मिले हुए हों, ३. दृष्टि नासाग्र पर टिकी हुई हो, ४. नीचे की दन्त पंक्ति का ऊपर की दन्त पंक्ति से स्पर्श न हो, ५. मुख प्रसन्न हो, ६. मुख पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर रहे, ७. प्रमाद मुक्त रहे, ८. सुसंस्थान मेरुदंड सीधा रहे। सुखासनसमासीनः सुश्लिष्टाधरपल्लवः । नासाग्रन्यस्तदृग्द्वन्द्वो दन्तैर्दन्तानसंस्पृशन् ।। प्रसन्नवदनः पूर्वाभिमुखो वाप्युदङ्खः । अप्रमत्तः सुसंस्थानो ध्याता ध्यानोद्यतो भवेत्।। योगशास्त्र ४.१३५,१३६ १५ जुलाई २००६ FAMOGHDGOGADGOGG-२२२GOO.GRGARGADGOG.
SR No.032412
Book TitleJain Yogki Varnmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Vishrutvibhashreeji
PublisherJain Vishva Bharati Prakashan
Publication Year2007
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy