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ध्यानस्थल ( १ )
ध्यान के लिए वन, पर्वतशिखर, कमलवन आदि अनेक स्थलों का निर्देश किया जाता है । किन्तु ध्यान के लिए सहायक स्थान का कोई नियम नहीं बनाया जा सकता। जिस स्थान पर ध्यान करने पर राग और द्वेष उपशांत रहें, वही स्थान ध्यान के लिए प्रशस्त है।
कब कब ब
सागरान्ते वनान्ते वा शैलशृङ्गान्तरेऽथवा । पुलिने पद्मखण्डान्ते प्राकारे शालसङ्कटे ।। यत्र रागादयो दोषा अजस्रं यान्ति लाघवम् । तत्रैव वसति साध्वी ध्यानकाले विशेषतः ।। ज्ञानार्णव २८.२,८
१२ जुलाई
२००६
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