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ध्यान : कालमान (१) आवागमन से शून्य स्थान में जा शरीर और मन को स्थिर बना कर ध्यान किया जाए। वह दिन या वेला कब आएगी जब दुःख पैदा करने वाले मानसिक द्वन्द्व समाप्त होंगे?
प्रातःकाल, मध्याह्न अथवा संध्या के समय ध्यान करने से निश्चित ही विषय की उपाधि मिट जाती है।
अनापात-जन स्थान जइ, तन मन स्थिर धर ध्यान। वो दिन बेला कब हुस्यै, मिटत धंध दुख-खान ।। मध्याहे संध्या पछै, प्रात समय निशि साध। अवस्य नियम करि नै जुड्यां, मिटियै विषय-उपाध ।।
. आराधना, ध्यान विधि ४,५
४ जुलाई २००६