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कलाकार का पालन कर
बोधिदुर्लभ अनुप्रेक्षा बोधि के तीन प्रकार हैं-ज्ञानबोधि, दर्शनबोधि और चारित्रबोधि। सहजतया मनुष्य का आकर्षण ऐश्वर्य और सुखसुविधा में होता है, किन्तु वे ही दुःख के हेतु बनते हैं, इस स्थिति को मनुष्य भुला देता है। इस अनुप्रेक्षा में मनुष्य के सम्मुख एक प्रश्न उपस्थित होता है। इस जगत् में दुर्लभ क्या है? धन-सम्पदा और सुख-सुविधा वस्तुतः दुर्लभ नहीं हैं। दुर्लभ है मानसिक शांति। वह धन-सम्पदा और सुख-सुविधा से प्राप्त नहीं होती किन्तु सम्यक् ज्ञान, सम्यक् दृष्टिकोण और सम्यग्चारित्र के द्वारा प्राप्त होती है।
मन की शांति का हेतु बोधि है। कारण प्राप्त होने पर कार्य की सिद्धि सहज हो जाती है। बोधि प्राप्त होने पर मन की शांति का प्रश्न जटिल नहीं होता।
१५ जून २००६