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एकत्व अनुप्रेक्षा आदमी अपने बाहरी वातावरण में अकेला नहीं है। वह सामुदायिक जीवन जीता है और सबके बीच में रहता है किन्तु वह सब बातों में सामुदायिक नहीं है। सामुदायिक जीवन के प्रवाह से आने वाली समस्याओं से अपने मन को खाली वही रख सकता है, जिसे व्यावहारिक संबंधों के बीच अपने अस्तित्व की अनुभूति होती है, वह बाहरी समस्या का सामना करते हुए भी अपने अन्तस् में समस्या से मुक्त रहता है। बाहर के वातावरण में समुदाय के बीच में रहते हुए भी वह अन्तस् में अकेला रहता है और बाहरी जीवन में व्यस्तता से मुक्त रहता है।
८ जून २००६